
Hanuman ji caste Dalit Muslim Rajbhar jat: भगवान हनुमान एक बार फिर से जातिगत बयानबाजी के चलते सुर्खियों में हैं। योगी सरकार में मंत्री और सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने बलिया के वासुदेवा गांव में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हनुमान जी को राजभर जाति का बताया। उन्होंने कहा कि जब राम और लक्ष्मण को पातालपुरी से बचाने की हिम्मत किसी ने नहीं की, तब राजभर जाति में पैदा हुए हनुमान ने ही उन्हें बचाया।
पहली बार नहीं, पहले भी हो चुकी है जाति पर बहस
यह पहली बार नहीं है जब भगवान हनुमान की जाति को लेकर बयानबाजी हुई हो। पहले भी उन्हें दलित, आदिवासी, आर्य, जाट, ब्राह्मण, और यहां तक कि मुसलमान तक बताया जा चुका है।
योगी आदित्यनाथ का बयान
2018 में राजस्थान चुनाव प्रचार के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी को “दलित, वनवासी, और वंचित” बताया था। उन्होंने कहा था कि बजरंगबली एक लोकदेवता हैं, जो समाज के वंचित वर्गों को जोड़ने का काम करते हैं।
सावित्री बाई फुले ने गुलाम बताया
बहराइच की पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले ने हनुमान को “दलित और मनुवादियों के गुलाम” बताया था। उन्होंने रामायण पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर हनुमान जी राम के भक्त थे, तो उन्हें बंदर क्यों बनाया गया?
हनुमान को आर्य और जाट बताया गया
बीजेपी नेता सत्यपाल सिंह ने हनुमान जी को आर्य बताया, तो योगी सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने उन्हें जाट बताया। उनके अनुसार, जाट संकट में दूसरों की मदद के लिए तुरंत आगे आते हैं, यही गुण हनुमान जी में था।
बुक्कल नवाब ने मुसलमान बताया
पूर्व एमएलसी बुक्कल नवाब ने हनुमान जी को मुसलमान बताया। उन्होंने कहा कि रमजान, फरमान जैसे नाम इस्लाम में हैं, जिससे हनुमान जी का मुस्लिम होना सिद्ध होता है।
अन्य बयान और विवाद
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हनुमान जी को आदिवासी बताया, तो योग गुरु बाबा रामदेव ने उन्हें क्षत्रिय कहा। शंकराचार्य स्वरूपानंद ने ब्राह्मण बताया, जबकि जैन संत आचार्य निर्भय सागर ने हनुमान जी को जैन धर्म का बताया।
राजभर का बयान और विवाद की नई कड़ी
ओम प्रकाश राजभर के ताजा बयान ने भगवान हनुमान की जाति को लेकर जारी बहस में एक और विवाद जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों की कहावतें भी इस बात की पुष्टि करती हैं कि हनुमान जी राजभर जाति से थे।
भगवान हनुमान की जाति पर चल रही यह बयानबाजी धार्मिक और सामाजिक संगठनों के बीच तीखी प्रतिक्रिया का कारण बनी है। धार्मिक नेताओं का कहना है कि भगवान को जातिगत दायरे में बांधने की यह कोशिश अनुचित है।