वृंदावन के चर्चित कथावाचक अनिरुद्धाचार्य अब बड़े कानूनी संकट में घिरते नजर आ रहे हैं। महिलाओं पर की गई उनकी कथित अभद्र टिप्पणी न केवल सोशल मीडिया पर आग की तरह फैली, बल्कि अब अदालत ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उनके खिलाफ औपचारिक परिवाद (कंप्लेंट केस) दर्ज कर लिया है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह पूरा मामला एक वीडियो से जुड़ा है, जो अक्टूबर में वायरल हुआ था। वीडियो में अनिरुद्धाचार्य कथित तौर पर कहते नजर आए—
“आजकल बेटियों की शादी 25 साल में होती है, तब तक वे कई जगह मुंह मार चुकी होती हैं।”
यह वाक्य इंटरनेट पर आते ही मानो बम की तरह फट गया।
महिलाओं के सम्मान की बात करने वाले तमाम संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और आम लोग इस बयान के विरोध में उतर आए। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसे ‘महिलाओं का अपमान’ बताते हुए जमकर नाराजगी जताई।
थाने ने नहीं सुनी, तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
अखिल भारतीय हिंदू महासभा, आगरा की जिला अध्यक्ष मीरा राठौर इस बयान से बेहद आहत हुईं। उन्होंने थाने में शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया।
इसके बाद मीरा राठौर ने सीधे सीजेएम कोर्ट का रुख किया। अदालत ने मामला सुनते ही इसे गंभीर पाया और अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ परिवाद दर्ज कर लिया।
अब 1 जनवरी को मीरा राठौर के बयान अदालत में दर्ज किए जाएंगे—इसके बाद तय होगा कि आगे FIR दर्ज होगी या नहीं।
मीरा राठौर की कसम ने सबका ध्यान खींचा
इस विवाद ने एक और दिलचस्प मोड़ तब लिया, जब मीरा राठौर ने बताया कि—
“मैंने प्रण लिया था कि जब तक मुकदमा दर्ज नहीं होगा, मैं अपनी चोटी नहीं बांधूंगी।”
अब जब अदालत ने परिवाद दर्ज कर लिया है, मीरा राठौर का कहना है—
“शायद अब चोटी बांधने का समय आ गया है।”
उनकी यह भावनात्मक प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में है।
अनिरुद्धाचार्य की सफाई—“बात तोड़-मरोड़कर पेश की गई”
विवाद के बढ़ने पर अनिरुद्धाचार्य ने सफाई दी कि उनकी बात को गलत तरीके से पेश किया गया है। उनका कहना है कि उन्होंने स्त्री और पुरुष दोनों पर टिप्पणी की थी और उसका अभिप्राय कुछ और था।
लेकिन आलोचकों का कहना है कि किसी भी संदर्भ में ऐसी भाषा धार्मिक उपदेशक की मर्यादा के खिलाफ है।
अब आगे क्या?
अदालत की अगली तारीख पर वादी के बयान दर्ज होंगे।
इसके बाद तय होगा कि यह मामला औपचारिक FIR तक पहुंचेगा या नहीं।
पर इतना तय है कि यह विवाद महिलाओं की गरिमा, धर्मगुरुओं की जिम्मेदारी और अभिव्यक्ति की सीमा पर एक बड़ी बहस को जन्म दे चुका है।














