उत्तर प्रदेश में स्कूल बंद होने और शराब की दुकानों की बढ़ती संख्या पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह का बयान आया और देश में व्यंग्य प्रेमियों को एक नई सौगात मिल गई। जी हाँ, ये वही संजय सिंह हैं, जिनकी पार्टी ने दिल्ली में “शराब नीति” के नाम पर जो गुल खिलाए, वो आज भी जांच एजेंसियों की फाइलों में ‘फ्रिज’ हो रहे हैं।
कहते हैं, “नकली संत सबसे ज़्यादा उपदेश देता है”, और संजय सिंह जी ने इस कहावत को फिर से ज़िंदा कर दिया।
दिल्ली की शराब नीति: लाइसेंस में लूट, और अब उत्तर प्रदेश में शिक्षा की बात?
दिल्ली की नई शराब नीति क्या थी?
सिर्फ़ लाइसेंस बांटना, कमीशन काटना और मुनाफा बटोरना।
फिर जब एजेंसियों ने जांच शुरू की, तो माननीय उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल चले गए और शराब नीति रद्द करनी पड़ी।
और अब वही पार्टी, वही नेता, उत्तर प्रदेश में खड़े होकर कह रहे हैं –
“बच्चों से किताबें छीनकर शराब की बोतल दी जा रही है।”
अरे भैया, “900 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली!”
शिक्षा की चिंता करने से पहले आत्मचिंतन कर लीजिए
संजय सिंह कह रहे हैं कि यूपी में स्कूल बंद हो रहे हैं, बच्चों को शिक्षा नहीं मिल रही।
सवाल ये है कि –
जब दिल्ली में शराब की दुकानें हर कॉलोनी में खुलीं,
तो उसी दौरान कितने स्कूल खोले गए?
कितने नए शिक्षक भर्ती हुए?
कितने सरकारी स्कूलों की हालत सुधारी गई?
उत्तर साफ है –“जहाँ ठेका खोलने में AAP को रात भर भी नींद नहीं आई,
वहीं स्कूलों की मरम्मत AAP की नज़र में कभी प्राथमिकता ही नहीं बनी।”
“मधुशाला नहीं पाठशाला चाहिए” – पर पहले खुद से पूछिए कि कौन सी पार्टी मधुशाला की ब्रांड एंबेसडर बनी?
“मधुशाला नहीं पाठशाला चाहिए” – AAP का ये नारा सुनकर तो मुंशी प्रेमचंद की आत्मा भी चौंक जाए!
दिल्ली में पढ़ाई के नाम पर शराब की नीतियाँ बनाना और यूपी में आकर पढ़ाई की दुहाई देना, ये जनता को भूले-भटके संत का ज्ञान लगने लगा है।
दाढ़ी जल चुकी है, अब राख फूंकने का कोई फायदा नहीं
संजय सिंह जी, अगर वाकई शिक्षा की चिंता है तो पहले अपनी पार्टी के शराब प्रेम पर आत्ममंथन कीजिए।
क्योंकि जनता सब जानती है —कौन शराब बाँट रहा था, और कौन पाठशाला का ढोंग कर रहा है।