Saturday, December 6, 2025
Your Dream Technologies
HomeUttar Pradeshबाबरी विध्वंस से राम मंदिर तक — 33 साल की यात्रा 

बाबरी विध्वंस से राम मंदिर तक — 33 साल की यात्रा 

आयोध्या, 6 दिसंबर 1992 — 22 जनवरी 2024: 33 साल पहले का वह दिन — 6 दिसम्बर 1992 — जो भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को बदलकर रख गया। उस दिन बाबरी मस्जिद के विध्वंस ने सिर्फ़ एक इमारत को नहीं घटाया, बल्कि लंबे समय तक चलने वाले मुक़दमे, समाज में दरारें, और राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर गहरी नीतिगत व सुरक्षा-परिणामों की एक श्रृंखला की शुरुआत की।


क्या हुआ था — संक्षिप्त व्यक्थन

6 दिसंबर 1992 की सुबह अयोध्या में हजारों की भीड़ जुटी थी। हिंदुत्ववादी संगठनों और राजनीतिक नेताओं की रैली के बाद भीड़ अनियंत्रित हो गई और करीब पाँच घंटे में 16वीं सदी की बनी बाबरी मस्जिद ढाँची गायब हो गई — यह घटना देशभर में सदमा और हिंसा की चिंगारी बन गई। कई गवाहों और बाद के विश्लेषणों में बताया गया कि तत्कालीन प्रशासन और सुरक्षा बलों की क्रियावली पर भी प्रश्न उठे (जिसमें उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के ‘गोली न चलाने’ के आदेश का उल्लेख भी हुआ)।

बाबरी विध्वंस से राम मंदिर तक — 33 साल की यात्रा 


आग की लपटें — देशभर में दंगे और उनकी मार

बाबरी विध्वंस के बाद देश के कई हिस्सों में दंगे फैल गए। खासकर मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में दिसंबर 1992 — जनवरी 1993 के दौरान हिंसा भड़क उठी; स्वतंत्र अनुमानों में इन दंगों में सैकड़ों लोगों की मौत बताई जाती है और विनाश बहुत व्यापक था। न्यायायिक जाँच और कमेटियों ने भी इन घटनाओं के भयावह प्रभाव को रेखांकित किया।

तीन महीने बाद, 12 मार्च 1993 को मुंबई में एक संगठित आतंकवादी हमले (12 बम विस्फोट) हुआ — जिसमें आधिकारिक तौर पर 257 लोगों की मौत और लगभग 1,400 घायल हुए बताए गए। इन बम धमाकों का तार त्रस्त-आपराधिक नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से जोड़ा गया, और इन्हें बाबरी-विध्वंस से जुड़ी कड़ी के रूप में देखा गया।


आतंकवाद और सुरक्षा-परिणाम

बाबरी विध्वंस के बाद सुरक्षात्मक चुनौतियाँ और भयंकर हुईं — 1990s और आगे के वर्षों में देश में अलग-अलग बड़े-छोटे हमले हुए जिन्हें पाकिस्तानी-आधारित आतंकवादी समूहों तथा अन्तरराष्ट्रीय अपराधी नेटवर्क से जोड़ा गया। 2005 में अयोध्या में अस्थायी राम मंदिर पर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों का हमला भी इसी संवेदनशीलता और लक्ष्य-निर्धारण की कड़ी का हिस्सा माना गया — उस मुठभेड़ में आतंकियों को ढेर किया गया पर दो आम नागरिक मारे गए।

बाबरी विध्वंस से राम मंदिर तक — 33 साल की यात्रा 


लिब्रहान आयोग — 17 साल की जांच

बाबरी घटनाक्रम की जांच के लिए मनमोहन सिंह लिब्रहान आयोग (एक सदस्यीय) बनाया गया था; आयोग से तीन महीनों में रिपोर्ट माँगी गई थी, पर यह जांच 17 साल तक चली और इस दौरान समय अनेक बार बढ़ा। आयोग ने राजनेताओं, प्रशासकीय अधिकारियों और सुरक्षा-तंत्र के कई पक्षों की जाँच की और 30 जून 2009 को अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंपी — रिपोर्ट की रिसर्च और निष्कर्षों ने सार्वजनिक बहस को और तेज़ किया।


अदालतों की सड़क — इलाहाबाद HC से लेकर सर्वोच्च अदालत तक

30 सितंबर 2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को तीन हिस्सों में बाँटने का आदेश दिया — यह फैसला अस्थायी था और कई पक्षों द्वारा इसे चुनौती दी गई।

9 नवम्बर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने 5 न्यायाधीशों की सर्वसम्मति (5-0) में अंतिम निर्णय सुनाया — विवादित लगभग 2.77 एकड़ जमीन केंद्र द्वारा बनाए जाने वाले ट्रस्ट को दी जाने, और उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड को मस्जिद के विकल्प के तौर पर 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतिहास-विज्ञान (ASI) की रिपोर्ट ने इस बात का संकेत दिया कि मस्जिद के नीचे कुछ गैर-इस्लामी संरचना के अवशेष मिले; साथ ही यह भी कहा गया कि 1949 के बाद हुई परिस्थितियों और साक्ष्यों के आलोक में दीबे पक्ष फैसला नहीं कर पाए। इस निर्णय ने न केवल विधिक अध्याय को समाप्त किया बल्कि राजनीतिक-सांस्कृतिक बहसों को भी नया मोड़ दिया।


22 जनवरी 2024 — प्राण-प्रतिष्ठा और नया अध्याय

33 साल बाद, 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित हुआ — प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य यजमान थे और रामलला की प्रतिमा की स्थापना (प्राण-प्रतिष्ठा) मंदिर के गर्भगृह में की गई। इस दिन की तस्वीरें, देश में उत्सव और विरोध, दोनों के रूप में सामने आईं; यह क्षण धार्मिक-भावना के साथ साथ राजनीति और सामाजिक विमर्श के प्रतीक के रूप में उभरा। अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय मीडिया ने इस समारोह को व्यापक कवरेज दिया। बाबरी विध्वंस से राम मंदिर तक — 33 साल की यात्रा 


पड़ोसी देशों पर असर — पाकिस्तान में प्रतिक्रियाएँ

बाबरी विध्वंस और उसके बाद की घटनाओं का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं रहा — पाकिस्तान में भी 1992 के आसपास कई मंदिरों व धार्मिक स्थलों पर हमले और नुकसान की खबरें आईं, जिससे वहाँ की हिंदू अल्पसंख्यक-समुदाय की सुरक्षा और आत्म-विश्वास प्रभावित हुआ। भारत-पाक रिश्तों में खटास और सुरक्षा-चिंताओं की लम्बी दास्ताँ यहीं से और तेज़ हुई; बाद के वर्षों में दोनों देशों के बीच टूट-बाँट, शत्रुता और समय-समय पर शांति-प्रयास — सभी देखने को मिले। (नोट — भारत-पाक रिश्तों के उतार-चढ़ाव और किन्हीं घटनाओं का प्रत्यक्ष कारण बताना बहु-आयामी है और कई द्विपक्षीय राजनीतिक-संदर्भों से प्रभावित है)।


सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव — क्या बदला और क्या नहीं?

1.राजनीतिक विमर्श का केंद्रीकरण: राम जन्मभूमि-विषय ने 1990s के दौरान देश की राजनीति को दिशा दी — यह हिंदुत्ववादी संगठन और राजनीतिक दलों के एजेंडे का प्रमुख बिंदु बना।

2.सामुदायिक दरारें: उस दिन के बाद चली हिंसा और भय का असर समुदायों के बीच भरोसे पर गहरा पड़ा — लोकल-लेवल की रिश्तेदारी, अर्थव्यवस्था और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर भी फर्क पड़ा।

3.कानूनी मानदण्ड और वक़्त की सीमा: लंबे मुक़दमों, आयोगों और शीर्ष अदालत के निर्णयों ने यह दिखाया कि संवेदनशील सार्वजनिक-स्थान विवादों का समाधान अक्सर वर्षों और दशकों ले सकता है — और अदालत की अंतिम व्याख्या ही निर्णायक होती है।

बाबरी विध्वंस से राम मंदिर तक — 33 साल की यात्रा 


सबक और चिंतन

बाबरी मस्जिद का विध्वंस और उसके बाद की 33-साल लंबी यात्रा बताती है कि धार्मिक भावनाएँ, राजनीतिक दावे, प्रशासनिक निर्णय और न्यायिक प्रक्रियाएँ किस तरह से एक राष्ट्र-कथा को आकार देती हैं। 6 दिसंबर 1992 का दिन तत्कालीन भावनात्मक ताप और व्यवस्था-विफलता का प्रतीक बन गया; 9 नवम्बर 2019 का सुप्रीम कोर्ट निर्णय और 22 जनवरी 2024 की प्राण-प्रतिष्ठा ने एक लंबे कानूनी-संस्कृतिक क्रम को नये रूप में समेटा। इसके बावजूद, बची हुई ज़रूरतें — सामुदायिक पुनर्निर्माण, विश्वास-वापसी, और संवैधानिक-नागरिक-सुरक्षा के मजबूत पहल — आज भी प्रासंगिक बनी हुई हैं।

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button