Tuesday, July 1, 2025
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सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी की आरोपी पूर्व आईएएस ट्रेनी पूजा खेडकर ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई अग्रिम जमानत की गुहार

Former IAS Trainee Pooja Khedkar: सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और ओबीसी एवं विकलांगता कोटा का गलत लाभ लेने की आरोपी पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर ने अपनी अग्रिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। 15 जनवरी को जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ उनकी याचिका पर सुनवाई कर सकती है।

दिल्ली हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज

दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर 2024 को पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि यह एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला है। कोर्ट ने इसे “सिस्टम में हेरफेर करने की बड़ी साजिश” करार दिया और जांच के लिए उनकी गिरफ्तारी को जरूरी बताया। कोर्ट ने यह भी कहा कि यूपीएससी परीक्षा, जो देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है, को इस मामले से गहरा आघात पहुंचा है।

सुप्रीम कोर्ट में खेडकर की दलील

पूजा खेडकर ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट के आदेश को “अन्यायपूर्ण” बताते हुए चुनौती दी है। उनका कहना है कि हाई कोर्ट का फैसला तथ्यों के खिलाफ है और उन्हें अग्रिम जमानत मिलनी चाहिए।

यूपीएससी और दिल्ली पुलिस का विरोध

  • यूपीएससी और दिल्ली पुलिस ने खेडकर की अग्रिम जमानत का विरोध किया था। उनका तर्क था कि खेडकर ने न केवल यूपीएससी बल्कि पूरे समाज और देश के साथ धोखाधड़ी की है।
  • पुलिस ने यह भी कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है।

हाई कोर्ट ने क्यों बताया था ‘धोखाधड़ी का उत्कृष्ट उदाहरण’?

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था:

  • यह मामला न केवल संवैधानिक संस्था यूपीएससी बल्कि समाज के साथ भी धोखाधड़ी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • खेडकर पर 2022 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन में गलत जानकारी देने और आरक्षण का लाभ लेने का आरोप है।

क्या होगा अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत नहीं दी?

अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी खेडकर को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया तो उन्हें गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद उनकी गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण भी हटा लिया गया है।

क्या कहा खेडकर के वकील ने?

खेडकर के वकील का कहना है कि:

  • वह जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं।
  • चूंकि सभी सबूत दस्तावेजी प्रकृति के हैं, इसलिए उनकी हिरासत की जरूरत नहीं है।
  • यह मामला न केवल एक व्यक्ति विशेष की धोखाधड़ी बल्कि सिस्टम के प्रति जनता के विश्वास पर भी सवाल खड़े करता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस केस की दिशा तय करेगा और यह भी कि पूजा खेडकर को न्याय मिलता है या नहीं।
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