नई दिल्ली,: — सुप्रीम कोर्ट में अगले आठ साल (2025–2033) में आठ चीफ जस्टिस के बदलते दस्तूर का अनुमान लगाया जा रहा है — जिनके कार्यकाल 36 दिनों से लेकर सवा दो साल तक के हो सकते हैं। वर्तमान चीफ जस्टिस भीषण (Bhushan) रामकृष्ण गवाई के 23 नवंबर 2025 को रिटायर होने के बाद वरिष्ठता के नियम के आधार पर चीफ जस्टिस पद पर किसका कब आना है, इसकी जो रूपरेखा बन रही है उसमें सबसे बड़ा—और सबसे लंबा—कार्यकाल जस्टिस जामशेद बुर्जोर (J. B.) पारदीवाला का रहने का अनुमान है।
अगला क्रम (मुख्य तारीखें और संक्षिप्त विवरण)
जस्टिस सूर्यकांत — मौजूदा अनुक्रम के अनुसार वे 24 नवंबर 2025 के बाद चीफ जस्टिस की कुर्सी सम्भालेंगे और उनका कार्यकाल 9 फ़रवरी 2027 तक रहने का अनुमान है।
जस्टिस विक्रम नाथ — 10 फ़रवरी 2027 से 23 सितंबर 2027 तक (अनुमानित) कार्य करेंगे।
जस्टिस बी.वी. नागरात्ना (B.V. Nagarathna) — 24 सितंबर 2027 से 29 अक्तूबर 2027 तक करीब 36 दिन के लिये देश की पहली महिला चीफ जस्टिस बनने का अनुमान है; वे न्यायिक पंक्ति में अपने पिता पूर्व चीफ जस्टिस E.S. Venkataramiah की विरासत भी आगे बढ़ाएंगी।
जस्टिस पामिदीघंटम श्री नरसिम्हा (P.S. Narasimha) — 30 अक्तूबर 2027 से 2 मई 2028 तक चीफ जस्टिस रहने का अनुमान है; वे बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में आए न्यायाधीशों में तीसरे ऐसे व्यक्ति होंगे जिनके लिए यह मार्ग अपनाया गया (S.M. Sikri और U.U. Lalित के बाद)।
जस्टिस जामशेद बुर्जोर पारदीवाला (J.B. Pardiwala) — 3 मई 2028 को शपथ लेने का अनुमान है; उनका कार्यकाल अनुमानित रूप से 2 साल 3 महीने 7 दिन तक चलेगा (3 मई 2028 — 11 अगस्त 2030) — यह किसी दशक में सबसे लंबा CJI कार्यकाल बनने की संभावना जताई जा रही है।
जस्टिस के.वी. विश्वनाथन (K.V. Viswanathan) — पारदीवाला के 11 अगस्त 2030 को सेवानिवृत्त होने के बाद 12 अगस्त 2030 से 25 मई 2031 तक (लगभग सवा नौ महीने) चीफ जस्टिस बनने की प्रेडिक्शन है।
जस्टिस जॉयमल्य बागची (Joymalya Bagchi) — 26 मई 2031 से 2 अक्तूबर 2031 तक चीफ जस्टिस रहने का अनुमान है (उनका सेवानिवृत्ति-कार्ड 2 अक्तूबर 2031 दर्ज है)।
जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली (Vipul M. Pancholi) — 3 अक्तूबर 2031 से 27 मई 2033 तक (लगभग ढाई साल से कुछ कम) देश की सर्वोच्च अदालत की कमान संभालने की अपेक्षा है; उनके कार्यकाल के बाद इस आठ-वर्षीय खाके में समापन होगा।
ऐतिहासिक संदर्भ और खास बातें
पहली महिला CJI: यदि जस्टिस बी.वी. नागरात्ना 24 सितम्बर 2027 को पद ग्रहण करती हैं तो वे भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस होंगी; उनकी वकालती/न्यायी पृष्ठभूमि और पिता E.S. Venkataramiah के CJI रहे होने की वजह से यह पिता—संतान के रूप में भी एक महत्वपूर्ण विरासत बनायेगा।
पितृ—सन्तान रिकॉर्ड: अब तक सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ पिता—बेटे के रूप में CJI का रिकॉर्ड Y. V. Chandrachud और उनके पुत्र D.Y. (Dhananjaya Y.) Chandrachud का है; भविष्य के इस क्रम से पिता—बेटे वाले इस किस्से के साथ नया ऐतिहासिक अध्याय जुड़ना भी सुगबुगाहट पैदा करता है।
क्या मायने रखता है यह सिलसिला?
1.न्यायिक निरंतरता और नीति असर — वरिष्ठता के अनुसार मिलने वाली CJI कुर्सी से अदालत की दिशा व निर्णयन की प्रवृत्तियों पर दीर्घावधि असर पड़ता है।
2.लघु-कालीन बनाम दीर्घकालिक नेतृत्व — 36-दिन जैसे अल्पकालीन कार्यकाल मामलों के तत्त्व, बेंच-रचना और कीट-नीतियों पर सीमित प्रभाव छोड़ते हैं, जबकि पारदीवाला जैसे लंबे टर्म से संस्थागत फैसलों व प्राथमिकताओं में ठोस पहचान बन सकती है।
3.न्यायपालिका में विविधता व प्रतिनिधित्व — महिला CJI का आगमन, और विभिन्न हाई कोर्टों से आये न्यायाधीशों का सर्वोच्च स्थान सम्भालना, अदालत में क्षेत्रीय व सामाजिक प्रतिनिधित्व का संकेत देगा।
अंतिम बात: उपरोक्त तालिका और तारीखें सार्वजनिक स्रोतों व वरिष्ठता-आधारित प्रोजेक्शंस पर आधारित हैं। वास्तविक शपथ-तिथियाँ और कार्यकाल केन्द्र/राष्ट्रपति/न्यायपालिका की आधिकारिक घोषणाओं पर निर्भर करेंगी — इसलिए जब भी कोई आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी होगा, उसी के अनुरूप सूचनाओं को अंतिम माना जाना चाहिए।














