संभल — तीन दिनों से चल रही संयुक्त जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED), आयकर (IT), सीबीआई और IBT की टीमें शहर की सबसे बड़ी मीट फैक्ट्री एवं उससे जुड़े कारोबारियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी कर रही हैं। अधिकारियों के अनुसार लगभग 200 अफसर जांच में लगे हुए हैं और करीब 150 कर्मचारियों को फिलहाल फैक्ट्री परिसर में रोका गया है। जांच टीमें बहीखाता, लेन-देन और विदेशी सप्लाई नेटवर्क की गहन जांच कर रही हैं।
छापेमारी कहाँ-कहाँ हुई
जांच के दायरे में प्रमुख रूप से इरफ़ान हाजी — “इमरान ब्रदर्स” के घर और इंडिया फ्रोजन फूड फैक्ट्री शामिल हैं। इसके अलावा फैक्ट्री मैनेजर के घर, प्रबंधकों एवं कारोबारियों के रिश्तेदारों के ठिकानों पर भी टीमों ने छापे मारे। बताया गया है कि रायसत्ती थाना क्षेत्र के चमन सराय, जोया रोड और खेड़ा चौंदौसी की कुछ जगहों पर भी पूछताछ और दस्तावेजी जांच की गई है। अधिकारियों को रेड के दौरान कई दस्तावेज मिले हैं, पर अभी तक विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है।
जांच का फोकस
टीमों का मुख्य फोकस व्यापार से जुड़े खातों, नकदी के लेन-देन और विदेशी सप्लाई चैनलों पर है। अधिकारियों का कहना है कि छापेमारी की कार्रवाई एक ही साथ कई ठिकानों पर इसलिए की गई ताकि संबंधित दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य एकत्रित किए जा सकें। फिलहाल जांच जारी है और जांच एजेंसियों ने कोई अंतिम निष्कर्ष साझा नहीं किया है।
राजनीति पर असर — आचार्य प्रमोद कृष्णम का हमला
इस कार्रवाई ने स्थानीय राजनीति में भी हलचल मचा दी है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मंगलवार को ED की कार्रवाई पर तीखा बयान दिया और स्थानीय राजनीतिक और व्यावसायिक हितों के कथित कनेक्शन का आरोप लगाया। आचार्य ने दावा करते हुए कहा कि संभल के नंबर-दो पैसों का कुछ हिस्सा समाजवादी पार्टी के नेताओं तक पहुंचता है और काला धन रिकवर करना हो तो सांसद जियाउर रहमान बर्क के यहां छापा होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग ‘वंदे मातरम्’ नहीं कहते और तालिबान का समर्थन करते हैं, उन पर छापे पड़ना स्वाभाविक होगा — यह टिप्पणी स्थानीय तौर पर विवादित मानी जा रही है।
कारोबारियों के रिश्तेदारों व कर्मचारियों पर छापेमारी
सूचना के अनुसार फैक्ट्री मैनेजर इमरान की ससुराल (खेड़े, चंदौसी) में भी पूछताछ की गई। टीमों ने फैक्ट्री परिसर में कई कर्मचारियों से बयान लिए और संभावित वित्तीय दस्तावेज जब्त किए। हालांकि, अभी तक किसी भी आरोपी के नाम या गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
जांच में शामिल एजेंसियों की ओर से अब तक विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। बताया जाता है कि जांच टीमों का मानना है कि मामले की संवेदनशीलता और विभिन्न एजेंसियों के समन्वय को देखते हुए विवरण चरणबद्ध तरीके से साझा किए जाएंगे।
क्या होगा आगे
जांच रिपोर्ट और मिलने वाले सबूतों के आधार पर आगे के आरोपपत्र या रिकवरी की कार्रवाई हो सकती है। इसी बीच शहर में व्यापारिक माहौल तथा राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का तनाव बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है। सरकारी एजेंसियों की ओर से मिलने वाली औपचारिक जानकारी जैसे ही जारी होगी, मामले की पड़ताल और स्पष्ट होगी।