बेंगलुरु | 16 जुलाई 2025 — प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को कर्नाटक में मनी लॉन्ड्रिंग के एक गंभीर मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए बेंगलुरु में 15 ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापे एन. श्रीनिवास मूर्ति, उनके परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में मारे गए।
ईडी ने इस मामले में ईसीआईआर (ECIR) दर्ज किया है, जो शहर के कई पुलिस थानों में पहले से दर्ज एफआईआर पर आधारित है। मूर्ति पर आरोप है कि उन्होंने सहकारी बैंकिंग के नाम पर हजारों ग्राहकों से करोड़ों रुपये की ठगी की और उसे शेल कंपनियों व रिश्तेदारों के खातों के माध्यम से घुमाकर मनी लॉन्ड्रिंग की।
बैंकिंग की आड़ में घोटाला: ND Cooperative Model का बेजा इस्तेमाल
एन. श्रीनिवास मूर्ति ने सुषरुति सौहार्द सहकारी बैंक की स्थापना की थी, जिसमें वे चेयरमैन, उनकी पत्नी धरनी देवी डायरेक्टर और बेटी मोक्षतारा फंक्शनल डायरेक्टर हैं। बैंक पर आरोप है कि उसने एफडी और सेविंग अकाउंट धारकों को ब्याज देना बंद कर दिया और जब ग्राहक बैंक पहुंचे, तो सर्वर समस्या का बहाना बनाकर टालमटोल की गई।
एफआईआर में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि बैंक के शीर्ष अधिकारी और कर्मचारी साजिशन ग्राहकों की जमा राशि का दुरुपयोग कर रहे थे, और पैसे को अपनी निजी संपत्तियों व अन्य संस्थानों में निवेश कर रहे थे।
ज्यादा ब्याज का लालच, फिर छल
मूर्ति ने ग्राहकों को उच्च ब्याज दर का लालच देकर एफडी और टर्म डिपॉजिट खुलवाए। जब लोगों ने लाखों की जमा पूंजी लगाई, तो कुछ समय तक ब्याज दिया गया, लेकिन 2021-22 के बाद न ब्याज मिला, न एफडी का भुगतान। इस दौरान मूर्ति ने एक और संस्था, श्रुति सौहार्द क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की शुरुआत की, जिसमें उनके रिश्तेदार बी.वी. सतीश (बहनोई) अध्यक्ष और दीपक जी (भतीजा) उपाध्यक्ष बनाए गए।
बहुविवाह और बहु-संस्थानों के जरिए घोटाले का जाल
जांच में यह भी सामने आया है कि मूर्ति ने श्री लक्ष्मी महिला को-ऑपरेटिव सोसायटी नामक संस्था बनाई, जिसका संचालन उनकी दूसरी पत्नी करती है। वहां भी लोगों से पैसे जमा कराकर धोखाधड़ी की गई। सभी संस्थाओं की लोन, ऑडिट और निवेश समितियों के अध्यक्ष खुद मूर्ति थे, जिससे उन्हें बैंक के पैसे का मनमाना इस्तेमाल करने की पूरी छूट मिली।
उन्होंने कई करीबियों को बिना गारंटी लोन दिए, जिनमें से अधिकांश रकम कभी लौटाई ही नहीं गई। ये लोन अधिकतर कैश में दिए गए और बाद में पैसा वापस मूर्ति, उनके परिवार या उनके व्यवसायिक खातों में ट्रांसफर कर दिया गया।
मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक मॉडल: कैसे घुमाया गया पैसा?
ईडी को शक है कि मूर्ति और उनके सहयोगियों ने अवैध तरीकों से कमाई गई रकम को वैध दिखाने के लिए बैंक खातों, संपत्तियों और शेल कंपनियों का सहारा लिया। पैसा एक खाते से दूसरे में, फिर तीसरे में ट्रांसफर करके मूल स्रोत को छुपाया गया, जो मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक तरीका है।
अगला कदम: जब्ती और गिरफ्तारियां संभव
ईडी अब इस मामले में आय से अधिक संपत्ति, बेनामी संपत्तियों, और काले धन के लेन-देन की कड़ियों को जोड़ रही है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में संपत्तियों की जब्ती और गिरफ्तारियों की कार्रवाई संभव है।
यह घोटाला सिर्फ आर्थिक नहीं, सामाजिक विश्वास पर हमला है
एन. श्रीनिवास मूर्ति का यह मॉडल सहकारी बैंकों पर जनता के भरोसे को झटका देने वाला है। जिन संस्थानों को ग्रामीणों, महिलाओं और निम्न आय वर्ग के लोगों की आर्थिक मदद के लिए बनाया गया था, वही धोखाधड़ी का केंद्र बन गईं।