नई दिल्ली।
पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर देश भर में जहां एक ओर सरकार की सराहना हो रही है, वहीं दूसरी ओर इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा शुक्रवार को जारी एक वीडियो को लेकर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और सवाल उठाया है कि क्या अब सरकार को विपक्ष के समर्थन की जरूरत नहीं रही?
कांग्रेस ने उठाए बीजेपी के वीडियो पर सवाल
भाजपा ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर एक वीडियो जारी कर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और मौजूदा मोदी सरकार के आतंकवाद से निपटने के तरीकों की तुलना की है। वीडियो में दावा किया गया कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में आतंकी हमलों के बाद कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया और पाकिस्तान से शांति वार्ता की जाती रही, जबकि मोदी सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ सीधी और सख्त कार्रवाई की है।
भाजपा ने वीडियो के साथ लिखा –
“दुश्मनों के लिए संदेश साफ है — हमसे मत टकराना। अब नया भारत व्यर्थ की शांति वार्ता के लिए धैर्य नहीं रखता।”
पवन खेड़ा का तीखा सवाल: क्या अब राजनीति का समय आ गया है?
बीजेपी के इस वीडियो पर कांग्रेस ने नाराज़गी जताई है। कांग्रेस के संचार प्रमुख पवन खेड़ा ने एक्स पर लिखा:
“तो अब राजनीति करनी है? राजनीति करने का टाइम आ गया? सरकार को विपक्ष के साथ की ज़रूरत नहीं है? क्या अब एकजुटता का संदेश नहीं देना है? सरकार और बीजेपी को इस पर स्पष्टता देनी चाहिए।”
प्रधानमंत्री की गैर-मौजूदगी पर भी उठे सवाल
कांग्रेस ने भारत द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई पर सरकार को समर्थन देने की बात तो कही, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक में अनुपस्थिति पर कड़ा ऐतराज़ जताया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल उठाया —
“क्या प्रधानमंत्री खुद को संसद और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से ऊपर समझते हैं?”
“हम सरकार के साथ हैं, पर लोकतंत्र की गरिमा भी बनी रहनी चाहिए”
सर्वदलीय बैठक के बाद खड़गे ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि
“राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है, और विपक्ष की ओर से इसमें पूरा समर्थन दिया गया है। लेकिन जब इतना बड़ा मुद्दा है, तो प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है।”
उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में मौजूद सभी दलों ने सरकार को भरोसा दिलाया कि इस संकट की घड़ी में पूरा विपक्ष एकजुट है और देशहित में हर कदम पर साथ देगा।
निष्कर्ष: सैन्य कार्रवाई के बीच राजनीतिक बहस तेज
जहां एक ओर देश की जनता और विपक्ष भारत की सैन्य कार्रवाई पर गर्व महसूस कर रहे हैं, वहीं सरकार और सत्तारूढ़ दल द्वारा जारी राजनीतिक संदेशों पर विपक्ष ने ‘संवेदनशील मुद्दों का राजनीतिकरण’ करने का आरोप लगाया है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।