
नोएडा, 25 जून 2024। उद्योगों की समस्याओं के समाधान के लिए जिला स्तर पर आयोजित होने वाली उद्योग बंधु बैठकें मात्र औपचारिकता बनकर रह गई हैं। जिले के 25,000 से अधिक उद्यमियों की बड़ी समस्याओं का समाधान तो दूर, सुनवाई भी नहीं हो रही है। एमएसएमई इंड्रस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह नाहटा ने मंगलवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस मामले की शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला उद्योग केंद्र जिलाधिकारी को गुमराह कर रहा है और उद्योगों की समस्याओं के निस्तारण के नाम पर केवल दिखावा किया जा रहा है।
24 जून को आयोजित उद्योग बंधु की बैठक में एमएसएमई इंड्रस्ट्रियल एसोसिएशन ने कई समस्याएं और शिकायतें प्रस्तुत की थीं। एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करते हुए रमेश राठौर, हरीश बघेल, पीएस सोलंकी, मो. दिलशाद, और दिलीप मिश्रा आदि उद्यमी शामिल हुए थे। लेकिन गौतमबुद्धनगर के उपायुक्त, उद्योग अनिल कुमार सिंह ने बैठक के एजेंडे में इन समस्याओं को शामिल नहीं किया। केवल समस्याओं से संबंधित पत्र का हवाला देकर इतिश्री कर दी गई, जिससे जिलाधिकारी को इन समस्याओं और शिकायतों की जानकारी नहीं मिल पाई।
लोकसभा चुनाव के बाद यह बैठक तीन-चार महीनों के अंतराल पर आयोजित की गई थी, जिसमें सरकारी विभागों से उद्यमियों को हो रही परेशानी से अवगत कराना था। लेकिन जिला उद्योग केंद्र के अधिकारियों की मनमानी के कारण उद्यमियों की आवाज दबकर रह गई। नाहटा ने कहा कि बाजार की खराब स्थिति में उद्योगों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है और केवल औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। ऐसे में औद्योगिक विकास संभव नहीं है और प्रदेश की आर्थिक प्रगति प्रभावित हो रही है।

संस्था की ओर से उठाई गई समस्याएं:
- श्रम विभाग की अनियमितताएं: बिना पूर्व सूचना और बगैर नोटिस के एक्स पार्टी केस बनाए जा रहे हैं। कंपनी मालिकों को केस की जानकारी वसूली के समय मिलती है। केस को रिओपन करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। निवेदन है कि पक्षपात पर रोक लगाई जाए और साक्ष्य के आधार पर फैसले लिए जाएं।
- बिजली आपूर्ति की समस्या: जर्जर बिजली इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण बार-बार बिजली ट्रिपिंग हो रही है, जिससे उत्पादन, रोजगार और राजस्व पर बुरा असर पड़ रहा है। किराए के भवनों में चल रही इकाइयों पर कॉमर्शियल विद्युत कनेक्शन का दबाव बनाकर उत्पीड़न किया जा रहा है और गलत बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं।
- भूखंड आवंटन प्रक्रिया: भूखंड आवंटन में फाइनेंसर और बिचैलियों का हस्तक्षेप बढ़ रहा है, जिससे असल उद्यमियों को भूखंड नहीं मिल पा रहे हैं। प्राधिकरणों द्वारा औद्योगिक भूखंड महंगे किए जाने से उद्योगों का विकास रुक जाएगा और इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा।

- फायर एनओसी: उद्यमियों को फायर एनओसी प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। नोएडा में आग की घटनाओं से निपटने के लिए संसाधनों की कमी है, जिसे दूर करने की आवश्यकता है।
- यातायात व्यवस्था: नोएडा और गाजियाबाद को जोड़ने वाले मार्ग पर वाहनों की भीड़ से रोजाना जाम लगता है, जिसका असर उद्योगों पर पड़ता है। प्रस्तावित फ्लाईओवर के धीमे निर्माण से समस्या और बढ़ गई है।
- ईएसआईसी अस्पताल: श्रमिकों और उनके आश्रितों को उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। मंजूरी मिलने के बाद भी नई डिस्पेंसरी शुरू नहीं हो पाई है और अस्पताल का नया भवन अधर में लटका हुआ है।
- पुलिस उद्यमी संवाद: पुलिस विभाग उद्यमियों से संबंधित शिकायतों का समाधान करने में विफल रहा है। व्यापारी-उद्यमी सुरक्षा बैठकें नियमित रूप से आयोजित नहीं हो रही हैं।
- इंस्पेक्टर राज: विभिन्न विभागों के कर्मचारी निरीक्षण के नाम पर उद्यमियों को परेशान कर रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
- अतिक्रमण की समस्या: नोएडा के औद्योगिक सेक्टरों में अतिक्रमण की समस्या बढ़ रही है और प्राधिकरण इसे नजरअंदाज कर रहा है। एनजीटी नियमों के खिलाफ नाले के ऊपर अवैध दुकानों का संचालन हो रहा है।
- यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण: औद्योगिक भूखंडों पर निर्माण कार्य और उत्पादन के लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं दी गई हैं। निवेशकों को प्राधिकरण की प्रताड़ना से राहत दिलाने की आवश्यकता है।

VIKAS TRIPATHI
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