
Delhi Elections 2025: नई दिल्ली: 1993 से अब तक दिल्ली में कुल 7 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। यदि 2013 के चुनाव को छोड़ दिया जाए, तो केवल एक बार किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया है। 2013 में बीजेपी दिल्ली में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, परन्तु बहुमत से करीब 4 कदम दूर रह गई थी। उसी वर्ष बीजेपी को 32 सीटों पर जीत मिली, जबकि दूसरे दल ने 28 सीट जीतकर दूसरा स्थान संभाला था। 8 सीटों के कांग्रेस समर्थन से आम आदमी पार्टी (AAP) ने सरकार का गठन किया था, और 2015 तथा 2020 में AAP को पूर्ण बहुमत हासिल हुआ।
बीजेपी के लिए चुनौतियाँ क्यों हैं?
- इतिहास में बीजेपी की कमजोर प्रदर्शन:
- 1993 के बाद बीजेपी को दिल्ली में कभी जीत नहीं मिली।
- 2013 और 2015 में देश भर में बीजेपी की प्रचंड लहर रही, लेकिन दिल्ली में यह अच्छी खासी हार का सामना करना पड़ा।
- बीजेपी में प्रमुख चेहरों की भारी कमी रही, और संकट से निपटने के लिए उन्होंने ‘ब्रांड मोदी’ का सहारा लिया।
- दिल्ली के करीब 25% मतदाता सिर्फ मुख्यमंत्री के चेहरे को देखकर वोट करते हैं।
- 2020 के चुनाव में AAP को 62 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी को मात्र 8 सीटों का अंकोन मिला और वोट प्रतिशत में भी AAP को 53.57% के मुकाबले बीजेपी को केवल 38% मिले।
- एग्जिट पोल के आंकड़े अक्सर भ्रामक साबित हुए हैं:
- 2013 में एग्जिट पोल ने बीजेपी की बहुमत का दावा किया था, जहाँ ओरआरजी ने बीजेपी को 41 सीटें और निल्सन ने 37 सीटें बताईं, परन्तु नतीजों ने इससे उलट परिणाम दिखाए।
- 2015 और 2020 में भी एग्जिट पोल ने AAP की कम सीटों का अनुमान लगाया, लेकिन वास्तविक नतीजों ने AAP की मजबूती सिद्ध की।
- सांसद संजय सिंह का कहना है कि एग्जिट पोल के आंकड़े अक्सर सही नहीं निकलते।
- कम वोटिंग का असर:
- दिल्ली में चुनाव आयोग के अनुसार लगभग 60% मतदाता मतदान में शामिल हुए, जो पिछले चुनावों के 62.8% से कम है।
- सरकार बदलने के लिए आवश्यक जनता का गुस्सा उतना नहीं दिखा, और उच्च मतदान वाले क्षेत्रों में अधिकांश मुस्लिम इलाकों का हिस्सा था, जैसे मुस्तफाबाद और सीलमपुर।
- आरक्षित सीटों में बीजेपी की कमजोर स्थिति:
- दिल्ली विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं, जिनमें से 12 दलितों के लिए आरक्षित हैं और 8 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है।
- इन सीटों पर बीजेपी की स्थिति शुरू से ही कमजोर रही है।
- कांग्रेस द्वारा इन सीटों पर बीजेपी के खिलाफ खेले जाने की उम्मीद जताई जाती है, लेकिन कांग्रेस के कैंपेन की स्थिति से ऐसा प्रतीत होता है कि इन सीटों में बड़े उलटफेर की संभावना कम है।
- AAP के पक्ष में दलित और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की सीटें बेहद अहम मानी जा रही हैं। यदि AAP एकतरफा इन क्षेत्रों में जीत हासिल करती है, तो बीजेपी के लिए सत्ता में लौटना काफी कठिन हो जाएगा।
इतिहास और पिछले चुनावी आंकड़ों को देखते हुए, दिल्ली चुनाव 2025 में बीजेपी के लिए राह आसान नहीं है। जबकि एग्जिट पोल के कुछ आंकड़े बीजेपी के पक्ष में दिख रहे हैं, असली परिणाम वहीं स्पष्ट होंगे जब गिनती पूरी हो जाएगी। AAP के पास दलित और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में बढ़त होने के कारण सत्ता में बनी रहने की संभावना मजबूत प्रतीत होती है।

VIKAS TRIPATHI
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