
Delhi Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल सामने आ चुके हैं, लेकिन नतीजे अब भी असमंजस में डालने वाले हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सीधी टक्कर है, वहीं कांग्रेस त्रिकोणीय मुकाबले की कोशिश में लगी हुई है। मतगणना से पहले इन 5 फैक्टर्स पर नजर डालिए, जो दिल्ली की चुनावी बाजी पलट सकते हैं।
1. कांग्रेस को 15 लाख वोट मिले तो AAP की राह मुश्किल
दिल्ली में कांग्रेस का पुराना वोट बैंक AAP में शिफ्ट हो चुका है। 2008 में कांग्रेस को 24 लाख वोट मिले थे, जो 2020 में घटकर सिर्फ 2 लाख रह गए। 2015 में AAP ने 48.7 लाख और 2020 में 49 लाख वोट हासिल किए।
अगर कांग्रेस इस बार वापसी कर 15 लाख वोट जुटाने में सफल होती है, तो AAP के लिए यह बड़ा झटका होगा। वहीं, अगर कांग्रेस इससे कम वोट लाती है, तो इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
2. मुस्लिम-दलित वोट से तय होगी बीजेपी की तकदीर
दिल्ली में 12 दलित और 8 मुस्लिम बहुल सीटें हैं, जिनका चुनावी गणित बेहद अहम है। इन 20 सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन बीते 25 सालों से कमजोर रहा है।
इस बार बीजेपी ने दलित-मुस्लिम इलाकों में अपनी रणनीति मजबूत की है। करोल बाग से दुष्यंत गौतम और मुस्तफाबाद से मोहन सिंह विष्ट जैसे कद्दावर नेताओं को मैदान में उतारा गया है। अगर बीजेपी इन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करती है या इन इलाकों में वोट बंट जाता है, तभी उसकी सत्ता में वापसी संभव होगी।
3. स्विंग वोटर्स का खेल पलटेगा पासा
दिल्ली में 15-20% स्विंग वोटर्स हैं, जो लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग वोटिंग पैटर्न अपनाते हैं। 2014 लोकसभा में बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली, लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
स्विंग वोटर्स का झुकाव जिस भी पार्टी की तरफ होगा, वही दिल्ली की सत्ता पर काबिज होगी।
4. महिला और युवा वोटर्स सबसे अहम
दिल्ली में महिला वोटर्स की संख्या 67 लाख के करीब है, जिनमें से करीब 40 लाख वोट डालने की संभावना है। आम आदमी पार्टी ने महिलाओं के लिए 2100 रुपये मासिक सम्मान राशि और फ्री बस सेवा का वादा किया है, जिससे उसे महिला वोटों का फायदा मिल सकता है।
वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव के बाद 4 लाख नए युवा वोटर जुड़े हैं। महाराष्ट्र और झारखंड के हालिया चुनावों में महिलाओं ने जिसे एकतरफा वोट किया, वही पार्टी विजयी रही। यही ट्रेंड दिल्ली में भी दोहराया जा सकता है।
5. पुराने चुनावी आंकड़े बना रहे हैं सरदर्द
AAP 2013 में पहली बार दिल्ली चुनाव लड़ी थी और उसे 28 सीटें मिली थीं। 2015 में AAP ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि 2020 में उसे 62 सीटें मिलीं।
वहीं, बीजेपी 1993 में 49 सीटों पर जीत चुकी है, लेकिन 2015 में उसे सिर्फ 3 सीटें मिलीं। 2020 में पार्टी ने 8 सीटें जीतीं। अगर बीजेपी को सत्ता में वापसी करनी है, तो उसे अपना प्रदर्शन काफी सुधारना होगा।
दिल्ली में इस बार भी चुनावी मुकाबला रोमांचक है। कांग्रेस अगर 15 लाख वोट हासिल कर लेती है, तो AAP की सत्ता में वापसी मुश्किल हो जाएगी। वहीं, बीजेपी के लिए मुस्लिम और दलित वोटों का गणित बेहद अहम होगा। अब सबकी निगाहें 2025 के नतीजों पर टिकी हैं।

VIKAS TRIPATHI
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