नई दिल्ली/लखनऊ: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक महत्वपूर्ण पत्र लिखकर यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में हो रहे अवैध रेत खनन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। मुख्यमंत्री गुप्ता ने पत्र में अवैध खनन को एक गंभीर पर्यावरणीय और सुरक्षा संकट करार देते हुए कहा कि इस गतिविधि से नदी किनारे बने तटबंध कमजोर हो रहे हैं, जिससे बाढ़ का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी चेतावनी दी कि रेत खनन से यमुना के प्रवाह मार्ग और नदी तल में गंभीर बदलाव हो रहे हैं, जो न सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र को अपूरणीय क्षति पहुंचा रहे हैं, बल्कि नदी के किनारे बसे लाखों लोगों के जीवन और संपत्ति पर भी सीधा खतरा बनकर उभर रहे हैं।
NGT की चिंता और अंतरराज्यीय कार्रवाई की मांग
CM गुप्ता ने अपने पत्र में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की उस टिप्पणी का भी हवाला दिया जिसमें अवैध रेत खनन को रोकने के लिए अंतरराज्यीय समन्वय और कड़े नियामक कदमों की आवश्यकता बताई गई है। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच एक संयुक्त प्रवर्तन तंत्र विकसित किया जाना चाहिए, जो इस समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सके।
उन्होंने लिखा,
“यह अवैध खनन सिर्फ एक राज्य की नहीं, बल्कि दोनों राज्यों की साझा समस्या है। इसके समाधान के लिए समन्वय, पारदर्शिता और राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।”
सीमा निर्धारण और प्रशासनिक स्पष्टता की मांग
सरकारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने CM योगी आदित्यनाथ से दिल्ली-यूपी सीमा का संयुक्त सीमांकन कराने का भी अनुरोध किया है, ताकि अधिकार क्षेत्र को लेकर उत्पन्न हो रहे प्रशासनिक भ्रम को दूर किया जा सके और पारिस्थितिक संतुलन की सार्थक रक्षा की जा सके।
दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क में हैं और दोनों राज्यों की सीमा पर हो रही खनन गतिविधियों व पर्यावरणीय आंकड़ों को साझा कर रहे हैं।
प्रवाह मार्ग और नदी तल में बदलाव: बड़ी चेतावनी
प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि यमुना नदी में अवैध खनन की वजह से प्रवाह मार्ग में अवरोध पैदा हो रहे हैं और नदी तल की प्राकृतिक संरचना में गंभीर असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। इससे बाढ़ का जोखिम बढ़ गया है और पारिस्थितिक तंत्र पर दीर्घकालिक विनाशकारी प्रभाव पड़ने की आशंका है।
एक अधिकारी ने कहा:
“नदी किनारे रह रहे लोग न केवल अपनी आजीविका बल्कि अपनी ज़िंदगी की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। यदि यह स्थिति यथावत रही तो निकट भविष्य में गंभीर आपदाएं देखने को मिल सकती हैं।”
CM रेखा गुप्ता का यह पत्र एक स्पष्ट संकेत है कि अवैध रेत खनन अब केवल कानून-व्यवस्था या भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं, बल्कि जलवायु संकट और मानव सुरक्षा से भी जुड़ चुका है। अब देखना यह होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस पत्र पर कितना गंभीर रुख अपनाती है और क्या दोनों राज्य मिलकर एक ठोस और पारदर्शी समाधान की ओर बढ़ते हैं या नहीं।