Wednesday, October 29, 2025
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दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी — ग्रीन पटाखों की अनुमति पर CM Rekha Gupta का फैसला

दिल्ली, 6 अक्टूबर 2025 — दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को कहा कि दिल्ली सरकार इस दिवाली पर प्रमाणित (NEERI/PESO) ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट में लिखित में अपना पक्ष रखेगी। सरकार का अनुरोध होगा कि जन-भागीदारी और कड़े पर्यावरणीय मानदंडों के पालने के साथ प्रमाणित ग्रीन पटाखों को अनुमति दी जाए, ताकि राजधानी के करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान भी हो और प्रदूषण नियंत्रण का लक्ष्य भी बना रहे।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने हाल के आदेश में प्रमाणित निर्माताओं को दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखे बनाने की अनुमति दी है, लेकिन उनकी बिक्री और वितरण पर अस्थायी रूप से रोक लगाई है—यानी निर्माताओं को NEERI और PESO प्रमाणपत्र दिखाने होंगे और यह शर्त रहेगी कि वे फिलहाल दिल्ली-एनसीआर में ये पटाखे नहीं बेचेंगे। कोर्ट ने केंद्र से भी कहा है कि वह इस प्रतिबंध और बिक्री के नियम पर एक ठोस तंत्र सुझाए।

क्यों विवादित है यह मसला?
सुप्रीम कोर्ट का यह रुख उस पृष्ठभूमि में आया है जब राजधानी में 2018 के बाद से पटाखों पर सख्ती और ग्रीन पटाखों को लेकर निरंतर बहस चली आ रही है। अप्रैल-2025 में भी कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण, बिक्री और भंडारण पर व्यापक प्रतिबंध लगाया था—लेकिन अब मामले की संवेदनशीलता, रोजगार तथा उद्योग-लोगों के आर्थिक हितों को देखते हुए अदालत ने एक संतुलित रास्ता अपनाने के संकेत दिये हैं।

दिल्ली सरकार का मांग-पत्र क्या कहेगा?
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट से गुज़ारिश करेगी कि (1) केवल NEERI/PESO से प्रमाणित और मानक पूरा करने वाले ग्रीन पटाखों को ही अनुमति मिले; (2) बिक्री-विपणन के नियंत्रण के लिए स्पष्ट पहचान-प्रणाली, चालान और सप्लाई-चेन की निगरानी व्यवस्था बनाई जाए; और (3) जनता के स्वास्थ्य व वायु गुणवत्ता के संरक्षण के लिये सख्त पालन और दंडात्मक धाराएँ लागू रहें — साथ ही अदालत के निर्देशों का पूर्ण सहयोग भी दिया जाएगा।

नियंत्रण और अंमलबंदी चुनौतियाँ
न्यायालय ने यह भी माना है कि जबकि निर्माण को अनुमति देने से रोजगार और उद्योग राहत पा सकते हैं, बिक्री पर रोक लागू न करने से नियम-विरोधी बाजार सक्रिय हो सकते हैं — इसलिए केंद्र को एक व्यवहारिक तंत्र तैयार करने का निर्देश दिया गया है ताकि केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखों का ही खरीदा-बेचा जाना सुनिश्चित हो सके। अदालत ने यह तंत्र प्रस्तुत करने की समय-सीमा भी दी है।

निष्कर्ष — संतुलन की कोशिश
यह मामला प्रदूषण-नियंत्रण और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच संतुलन की बहस का नया चरण है। दिल्ली सरकार की अर्जी और सुप्रीम कोर्ट के आगे चलने वाले निर्देश तय करेंगे कि इस दिवाली राजधानी में ग्रीन पटाखों की अनुमति किस रूप में दी जा सकती है, और साथ ही वायु-गुणवत्ता की सुरक्षा कैसे पक्का की जाएगी

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VIKAS TRIPATHI
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