Delhi Assembly Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव में सियासी घमासान चरम पर है।
सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के खिलाफ बीजेपी और कांग्रेस पूरी ताकत से मैदान में उतर चुकी हैं। जहां कांग्रेस अपने खोए जनाधार को फिर से पाने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी लंबे समय से दिल्ली में सत्ता का सूखा खत्म करने की जुगत में है। सत्ताधारी AAP लगातार जनता का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस बार के चुनावी समीकरण उसके लिए आसान नहीं दिख रहे।
कांग्रेस-AAP: साथी से विरोधी तक का सफर
लोकसभा चुनावों तक कांग्रेस और AAP इंडिया गठबंधन का हिस्सा थे, लेकिन अब दोनों के बीच तल्खी चरम पर है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के 10 साल के शासन पर सवाल उठाते हुए शीला दीक्षित के कार्यकाल को याद दिला रही है। वहीं, AAP यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि उसकी लड़ाई कांग्रेस से नहीं, बल्कि बीजेपी से है।
कांग्रेस ने क्यों बढ़ाई AAP की चिंता?
कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है, लेकिन जनता को बताने के लिए बहुत कुछ है। कांग्रेस के नेता शीला दीक्षित के समय हुए कामों, जैसे मेट्रो, सड़कों और फ्लाईओवर निर्माण का हवाला देकर AAP सरकार को घेर रहे हैं। संदीप दीक्षित जैसे नेता खुलकर AAP पर निशाना साध रहे हैं।
बीजेपी का जोर: भ्रष्टाचार और सुशासन पर हमला
बीजेपी ने चुनावी अभियान में भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाया है और कांग्रेस को AAP की ‘गोदी में बैठने वाली पार्टी’ बता रही है। बीजेपी का मानना है कि कांग्रेस अगर दमदार प्रदर्शन करती है, तो उसका फायदा उसे ही होगा।
AAP के लिए बड़ी चुनौती: एंटी-इंकंबेंसी
10 साल से सत्ता में रहते हुए AAP को अब एंटी-इंकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस इस बार मजबूती से चुनावी मैदान में उतरी है और दिल्ली के मतदाताओं को नए वादों के साथ साधने की कोशिश कर रही है।
चुनावी आंकड़े: किसकी जीत, किसकी हार?
2013 में AAP का उदय कांग्रेस के पतन के साथ हुआ था। 2015 और 2020 में भी AAP ने जबरदस्त जीत दर्ज की, लेकिन कांग्रेस का वोट प्रतिशत लगातार गिरा। अगर इस बार कांग्रेस अपने पुराने वोटरों को वापस लाने में सफल रही, तो AAP को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या बीजेपी सत्ता में वापसी कर पाएगी?
2020 के चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 38.51% तक पहुंच गया था। अगर कांग्रेस और AAP के वोट बैंक में सेंध लगती है, तो बीजेपी के लिए सत्ता का रास्ता खुल सकता है। यही वजह है कि AAP, बीजेपी को मुख्य प्रतिद्वंदी के तौर पर पेश कर रही है।
निष्कर्ष:
दिल्ली में विधानसभा चुनाव की लड़ाई तीनतरफा हो चुकी है। कांग्रेस जहां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है, वहीं बीजेपी अपनी पुरानी पकड़ वापस पाने की कोशिश में है। AAP को सत्ता बचाने के लिए हर कदम सोच-समझकर रखना होगा। चुनाव के नतीजे यह तय करेंगे कि दिल्ली का सिंहासन किसके हाथ लगेगा।
VIKAS TRIPATHI
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