गाजीपुर। साइबर थाना में तैनात दो पुलिसकर्मियों पर पद का दुरुपयोग करते हुए साइबर ठगी के शिकार युवक के परिवार से 2.18 लाख रुपये की हेराफेरी करने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में कोतवाली में पहले से दर्ज तहरीर के आधार पर तत्कालीन साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक अशोक कुमार मिश्र और आरक्षी दीपक कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।क्षेत्राधिकारी नगर शेखर सेंगर ने कोतवाली पुलिस को तहरीर देकर बताया कि 26 सितंबर 2024 को भांवरकोल थाना क्षेत्र के भेलमपुर उर्फ पंडीतपुरा गांव निवासी नीरज पटेल ने नौकरी दिलाने के नाम पर 22.78 लाख रुपये की साइबर ठगी का मुकदमा साइबर थाना में दर्ज कराया था। विवेचना अशोक कुमार मिश्र कर रहे थे। जांच में पीड़ित के बैंक खाते से डेबिट–फ्रीज की गई 7.86 लाख रुपये की राशि में से 4.68 लाख रुपये फ्रॉड होना पाया गया, जिसमें 2.50 लाख रुपये ही वास्तविक तौर पर परिवार को वापस किए गए।आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने पीड़ित के पिता जगदीश पटेल को कार्यालय में बुलाकर 2.50 लाख रुपये तो लौटा दिए, लेकिन शेष 2.18 लाख रुपये लौटाने के बजाय संबंधित बैंक खाते को अवैध रूप से अनफ्रीज करा दिया गया। जांच रिपोर्ट में दोनों पर धनराशि को लेकर अनियमितता, शिकायतकर्ता से गलत आचरण और सरकारी पद के दुरुपयोग का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।क्षेत्राधिकारी नगर शेखर सेंगर ने मामले की पुष्टि करते हुए दोनों के खिलाफ समुचित धाराओं में अभियोग दर्ज कर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की संस्तुति की। कोतवाल महेंद्र सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। वहीं, कोतवाल महेंद्र सिंह ने कहा कि दोष सिद्ध होने पर सख्त वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, अभी मामले की जांच प्रारंभिक चरण में है और पुलिस साक्ष्यों का विश्लेषण कर रही है।इस घटना से पुलिस महकमे की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोगों ने निष्पक्ष जांच और आरोपियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है। पुलिस का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। साइबर ठगी के इस प्रकरण में एक तरफ जहां आम नागरिक न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं, वहीं पुलिस पर लगे इस आरोप ने पूरे मामले को और संवेदनशील बना दिया है।














