
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश:
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की छात्रा हेमा कश्यप का जाति प्रमाणपत्र, सिर पर दुपट्टा पहनकर फोटो खिंचवाने के कारण रद्द कर दिया गया है। इस फैसले के चलते हेमा कश्यप नीट परीक्षा का फॉर्म भरने से वंचित रह गई हैं, जिससे उनके शैक्षिक सपने धूमिल हो गए हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर UP सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आधार पर भेदभाव का स्पष्ट उदाहरण बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि जाति प्रमाणपत्र रद्द करने के इस फैसले से न केवल हेमा कश्यप का भविष्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि पूरे छात्र समुदाय पर अंधविश्वास और पक्षपात की बूँदें भी बरस रही हैं। अखिलेश यादव ने छती हुई छात्रा से मुलाकात भी की और उसकी पीड़ा को गंभीरता से सुनते हुए कहा:
“यह अस्वीकृति सिर्फ एक दस्तावेज़ रद्द करने से कहीं ज्यादा है — यह एक छात्रा के सपनों, उसके उज्ज्वल भविष्य और हमारे समाज में समान अवसरों की गंभीर उपेक्षा का प्रतीक है।”
अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया पर भी हेमा कश्यप की तस्वीर साझा करते हुए लिखा:
“सिर पर दुपट्टा देखकर जाति प्रमाणपत्र रद्द कर देना आज के सिस्टम ने हेमा कश्यप के सपनों पर पानी फेर दिया है। यह अन्याय है।”
भेदभाव के आरोप और सरकार के खिलाफ कटघरे
अखिलेश यादव ने भाजपा पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि UP सरकार ने धार्मिक आधार पर भेदभाव कर, छात्रा के आवेदन को रद्द कर दिया है। उनका कहना है कि इस तरह के फैसलों से न केवल हेमा कश्यप बल्कि अन्य छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा है। यादव का यह भी मत है कि राज्य के कार्यपालिका अपने हस्तक्षेप में अत्यधिक कठोर और निरंकुश हो गई है, जिसके चलते लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर प्रश्न उठने लगे हैं।
उन्होंने इस संदर्भ में कहा:
“जब जाति प्रमाणपत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को सिर पर दुपट्टा के आधार पर रद्द कर दिया जाता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि सत्ता अपने सत्ता को बनाए रखने के लिए नागरिकों के अधिकारों का कैसे उल्लंघन कर रही है।”
अखिलेश यादव की अपील
सपा प्रमुख ने UP सरकार से यह भी अपील की है कि वे इस निर्णय की पुनर्समीक्षा करें और हेमा कश्यप समेत अन्य प्रभावित छात्रों को न्याय दिलाने के लिए त्वरित कार्रवाई करें। यादव ने जोर देकर कहा कि देश की विविधता और एकता को ध्यान में रखते हुए सभी छात्रों को समान अवसर मिलना चाहिए और किसी भी प्रकार के धार्मिक या सामाजिक भेदभाव की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

VIKAS TRIPATHI
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