
Congress’s Attempt at a Comeback in Delhi: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव त्रिकोणीय मुकाबले की ओर बढ़ रहा है। करीब एक दशक बाद कांग्रेस पूरी मजबूती से मैदान में उतर रही है। पार्टी का लक्ष्य अपने पुराने वोटबैंक को फिर से हासिल करना है, जो 2013 के बाद से आम आदमी पार्टी (आप) के पाले में चला गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कांग्रेस 10 लाख से ज्यादा वोट जुटाने में सफल होती है, तो यह सीधे तौर पर ‘आप’ की चुनावी परफॉर्मेंस पर असर डाल सकता है।
कांग्रेस की रणनीति: दलित-मुस्लिम वोट बैंक पर नजर
कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को मुख्य विपक्षी दल मानते हुए अपनी पूरी रणनीति इसी पर केंद्रित की है। पार्टी ने कई मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं और दलित-मुस्लिम फॉर्मूले पर काम कर रही है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे शीर्ष नेता चुनाव प्रचार में उतरने वाले हैं। खास बात यह है कि राहुल गांधी खुद नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ प्रचार करेंगे।
पार्टी की योजना 20 सीटों पर सीधा असर डालने की है। इसके तहत राहुल गांधी तीन दिनों तक दिल्ली में रैली और सभाएं कर सकते हैं।
क्या कांग्रेस अपने खोए वोट वापस पा सकती है?
2008 तक कांग्रेस का दिल्ली में मजबूत वोटबैंक था। लेकिन 2013 में आम आदमी पार्टी के उदय के साथ यह वोटबैंक तेजी से खिसक गया। 2013 के चुनाव में कांग्रेस को 19 लाख वोट मिले थे, जबकि 2015 में यह घटकर 8.5 लाख और 2020 में मात्र 2 लाख रह गया। अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस इस बार अपने खोए हुए वोटबैंक को वापस पा सकती है?
दिल्ली का चुनावी गणित: कौन कहां खड़ा है?
1. बीजेपी के वोटबैंक में स्थिरता
बीजेपी का वोटबैंक पिछले चार चुनावों में स्थिर बना हुआ है।
- 2008 में बीजेपी को 36.34% वोट (22.4 लाख वोट) मिले।
- 2013 में यह बढ़कर 33.3% (26 लाख वोट) हुआ।
- 2015 में वोट प्रतिशत 32% रहा, लेकिन सीटें 31 से घटकर 3 रह गईं।
- 2020 में बीजेपी ने 37 लाख वोट (8 सीटें) हासिल किए।
2. ‘आप’ और कांग्रेस के बीच वोटों का समीकरण
2013 में ‘आप’ ने 28 सीटें जीतीं और 23 लाख वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस को 19 लाख वोट मिले।
- 2015 में ‘आप’ ने 67 सीटें और 48.7 लाख वोट हासिल किए, वहीं कांग्रेस का प्रदर्शन शून्य रहा।
- 2020 में ‘आप’ ने 62 सीटें और 49 लाख वोट जीते, जबकि कांग्रेस महज 2 लाख वोट पर सिमट गई।
3. इस बार का चुनावी परिदृश्य
चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार दिल्ली में 1.5 करोड़ मतदाता हैं। अनुमान है कि करीब 1 करोड़ वोट पड़ सकते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कांग्रेस 10 लाख या उससे ज्यादा वोट लाने में सफल होती है, तो ‘आप’ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
कांग्रेस का प्रदर्शन ‘आप’ के लिए क्यों मायने रखता है?
2020 में ‘आप’ और बीजेपी के बीच वोटों का अंतर 12 लाख का था। अगर कांग्रेस 2013 की तरह 19 लाख वोट लाती है, तो ‘आप’ की सियासी सेहत पर इसका असर पड़ना तय है। फिलहाल कांग्रेस का वोट प्रतिशत 4% है। अगर यह 10-12% तक पहुंचता है, तो ‘आप’ के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है।
कांग्रेस की चुनौती
कांग्रेस इस बार दिल्ली चुनाव को त्रिकोणीय लड़ाई बनाने की पूरी कोशिश में है। अगर पार्टी 10 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर लेती है, तो ‘आप’ की स्थिति कमजोर हो सकती है। हालांकि, अगर कांग्रेस इस लक्ष्य तक नहीं पहुंचती, तो उसे केवल ‘वोटकटवा पार्टी’ के तौर पर देखा जाएगा।

VIKAS TRIPATHI
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