गांधीनगर: गुजरात कांग्रेस कमेटी के महासचिव राजेश सोनी को “ऑपरेशन सिंदूर” पर किए गए विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के चलते गांधीनगर साइबर क्राइम शाखा ने गिरफ्तार कर लिया है। उन पर भारतीय सेना का मनोबल गिराने, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी भ्रामक जानकारी फैलाने और देशविरोधी भावना को बढ़ावा देने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस गिरफ्तारी के बाद गुजरात की सियासत में घमासान मच गया है।
सेना और राफेल सौदे पर उठाए सवाल
साइबर अपराध शाखा के उपनिरीक्षक की शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि राजेश सोनी ने अपने फेसबुक पेज पर “ऑपरेशन सिंदूर”, राफेल डील और अन्य संवेदनशील मुद्दों से जुड़ी वीडियो और तस्वीरें पोस्ट कीं। एक पोस्ट में लिखा गया था, “विशेष ध्यान दें कि सैनिकों को इसका श्रेय नहीं मिलेगा। राफेल उड़ाने की लागत अब दोगुनी हो जाएगी और भविष्य में उसकी तस्वीरों और प्रचार पर खर्च की जाएगी।”
इस पोस्ट को सेना के प्रति अविश्वास पैदा करने वाला और राष्ट्र की सुरक्षा के मुद्दे पर भ्रामक प्रचार करने वाला बताया गया है।
“22 वर्षीय अग्निवीर बनाम 73 वर्षीय नेता” पर तंज
राजेश सोनी द्वारा एक और पोस्ट में 22 वर्षीय अग्निवीर सैनिक की तुलना 73 वर्षीय राजनेता से की गई थी, जिसमें सवाल उठाया गया कि “22 वर्षीय अग्निवीर को रिटायर होना चाहिए, लेकिन 73 वर्षीय व्यक्ति एक और मौका मांग रहा है।” इसे राजनीतिक कटाक्ष माना गया, लेकिन एफआईआर के अनुसार, इससे देश की सेना के मनोबल पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
एफआईआर में गंभीर आरोप
एफआईआर में स्पष्ट आरोप लगाया गया है कि सोनी ने जानबूझकर झूठी जानकारी साझा की, जिससे जनता के बीच भ्रम और सरकार के प्रति अविश्वास फैलाया गया। यह पोस्ट “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने और सेना के प्रति सम्मान को कम करने का सुनियोजित प्रयास” बताया गया है।
कांग्रेस का तीखा विरोध
राजेश सोनी की गिरफ्तारी पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई है। गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए कहा, “राजेशभाई टी. सोनी को कल रात एक आतंकवादी की तरह सुबह 4 बजे गिरफ़्तार किया गया। यह असहमति की आवाज़ को कुचलने की साजिश है।”
गोहिल ने कहा कि सोनी ने सिर्फ यह सवाल उठाया कि “ऑपरेशन सिंदूर की आड़ में सैनिकों के बलिदान का श्रेय कहीं राजनीतिक प्रचार में न बदल जाए। उन्होंने कहीं भी सेना का अपमान नहीं किया।”
राजेश सोनी की गिरफ्तारी ने न सिर्फ राज्य की राजनीति को गर्मा दिया है, बल्कि एक बार फिर यह बहस छेड़ दी है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे कायम रखा जाए। क्या राजनीतिक आलोचना को देशविरोधी गतिविधि ठहराना जायज़ है? इस पर आने वाले दिनों में और सियासी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं।