Wednesday, October 8, 2025
Your Dream Technologies
HomePARDAFHAAS BREAKINGस्मारक सिक्का विवाद: "राष्ट्राय स्वाहा" की व्याख्या पर बहस

स्मारक सिक्का विवाद: “राष्ट्राय स्वाहा” की व्याख्या पर बहस

नागपुर / नई दिल्ली, 2 अक्टूबर 2025 — राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शताब्दी के अवसर पर जारी किए गए स्मारक सिक्के को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। सरकार द्वारा 1 अक्तूबर को जारी किए गए 100 रुपए मूल्य के इस स्मारक सिक्के पर अंकित संस्कृत सूक्ति और भारत माता की प्रतिमा को कुछ वर्गों ने गलत अर्थ देकर प्रचारित किया, जिससे विवाद और गहमागहमी पैदा हो गई।

सिक्का क्या बताता है

स्मारक सिक्के पर भारत माता की छवि उकेरी गई है और संस्कृत में लिखा गया है — “राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मन” (जैसा कि सिक्के पर अंकित है)। इस सिक्के के साथ एक डाक टिकट भी जारी किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में इस स्मारक सिक्के और डाक टिकट का अनावरण किया; इसे संघ की सामाजिक सेवाओं—शिक्षा और स्वास्थ्य—के सन्दर्भ में प्रस्तुत किया गया।

सूक्ति का वास्तविक अर्थ

संस्कृत सूक्ति का सामान्य और प्रचलित अर्थ है कि “सब कुछ राष्ट्र को समर्पित है” — अर्थात् वैभव, यश या कोई व्यक्तिगत स्वार्थ मेरा-तुम्हारा नहीं, सब कुछ राष्ट्र का है और इसलिए सब कुछ राष्ट्र को समर्पित किया जाता है। यह भाव उत्सर्ग और समर्पण का संकेत देता है, न कि राष्ट्र के नाश का।

विरोध और नासमझी

कुछ आलोचकों ने सूक्ति को तोड़-मरोड़ कर यह आरोप लगाया कि इसका आशय राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने या “राष्ट्र को स्वाहा” करने का है। इस प्रकार का प्रचार विरोधियों की त्वरित नासमझी और षड्यंत्रपूर्ण व्याख्या के रूप में देखा जा रहा है, जिसने साधारण भाव को ग़लत नजरिये से पेश किया और सार्वजनिक बहस को विषैला बनाया। लेख में बताया गया है कि जिन लोगों को भारतीय सभ्यता, संस्कृति और भाषाओं का ज्ञान है, उन्हें इस तरह की व्याख्या से बचना चाहिए—ऐसा प्रचार संघ विरोधियों की छवि ही कमजोर करता है और जनता में उनका मज़ाक बनाता है।

स्मारक सिक्कों का परिप्रेक्ष्य और ऐतिहासिक पहलू

स्मारक सिक्कों की नीति का इतिहास पुराना है। 1906 के सिक्का अधिनियम के बाद तांबे के सिक्कों का प्रचलन शुरू हुआ और 1975 में संशोधन के साथ केंद्र सरकार को 100 रुपए या उससे अधिक मूल्य के स्मारक सिक्के ढालने का अधिकार दिया गया। 1969 से स्मारक सिक्कों की लगातार ढलाई होती रही है; हालांकि 1954–1981 के बीच केंद्र ने किसी स्मारक सिक्के को मंज़ूरी नहीं दी। 1964 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की स्मृति में सिक्का बाज़ार में लाया गया था। हाल ही में भूपेन हज़ारिका पर 100 रुपए का स्मारक सिक्का 13 सितंबर 2025 को जारी किया गया था।

स्मारक सिक्टे—संग्रह और राजस्व

स्मारक सिक्के आम तौर पर संग्रहणीय होते हैं और बाज़ार में चलन हेतु नहीं लाए जाते; इन्हें इच्छुक कलेक्टर्स ऑनलाइन या अधिकारी वेबसाइटों से खरीद सकते हैं। सरकार इन्हें जारी करके भी राजस्व प्राप्त करती है—ऐसा आय का एक स्रोत माना जाता है। कुछ स्मारक सिक्कों को बाद में चलन में भी लाया गया है, पर अधिकांश संग्रह हेतु ही होते हैं।

स्मारक सिक्कों का जारी होना एक आधिकारिक अधिकार है और उन्हें देश की यादों, संस्कृति व उपलब्धियों को रेखांकित करने वाला माध्यम माना जाता है। परंतु जब किसी साधारण सूक्ति की जानबूझकर गलत व्याख्या कर दी जाती है, तो वह सार्वजनिक संवाद को विषाक्त कर देती है। इस विवाद ने यही दिखाया है कि संवेदनशील प्रतीकों और भाषा की सटीक व्याख्या किए बिना तीखी प्रतिक्रियाएँ जनमत को भ्रमित कर देती हैं। तथ्य-संशोधित और ज्ञानपरक बहस ही ऐसे मामलों में उपयोगी होगी—न कि अटकलबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप।

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button