
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसे पिछले 20 साल से मृत घोषित किया गया था और जो बैंक धोखाधड़ी के मामले में आरोपी था। सीबीआई ने 1 मई 2002 को एसबीआई हैदराबाद से 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी के आरोप में चलपति राव के खिलाफ मामला दर्ज किया था, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। चलपति राव 2004 में लापता हो गया, और उसकी पत्नी ने 2011 में उसे मृत घोषित करने के लिए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद 2013 में राव को मृत घोषित कर दिया गया।
नाम बदलकर रिकवरी एजेंट के तौर पर काम
सीबीआई ने चलपति राव के मामले को बंद नहीं किया और उसकी जांच जारी रखी। जांच में पता चला कि राव ने पैसे की हेराफेरी के लिए अपने परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के नाम पर फर्जी इलेक्ट्रॉनिक दुकानों के कोटेशन और वेतन प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया। कुछ दिनों की जांच के बाद सीबीआई ने पाया कि राव ने अपना नाम बदलकर विनीत कुमार रख लिया और 2007 में तमिलनाडु के सलेम में रहने लगा। उसने वहां अपना आधार कार्ड भी बनवाया और फिर भोपाल में लोन रिकवरी एजेंट के रूप में काम किया। इसके बाद वह उत्तराखंड के रुद्रपुर में बस गया।
भागने की कोशिश और गिरफ्तार
सीबीआई की टीम ने 2016 में जब उसे पकड़ने की कोशिश की, तो वह भाग गया। इसके बाद सीबीआई ने उसके आधार और ईमेल आईडी के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मदद मांगी। ईडी ने पता लगाया कि राव औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ के नाम से रह रहा था और उसके पास इसी नाम से आधार कार्ड भी था।
तमिलनाडु से श्रीलंका भागने की योजना
सीबीआई का दावा है कि आरोपी ने आश्रम से 70 लाख रुपये की ठगी की और 2021 में भरतपुर, राजस्थान भाग गया, जहां वह श्रीलंका भागने की योजना बना रहा था। उसे तिरुनेलवेली के नरसिंगनल्लूर गांव से गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल, उसे 16 अगस्त तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।