Saturday, September 13, 2025
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बिहार चुनाव से पहले बड़ा बवाल: वोटर लिस्ट में पाकिस्तानी महिलाओं के नाम, गृह मंत्रालय की चिट्ठी से खुलासा

भागलपुर/पटना रिपोर्ट: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले SIR (Self Identification Report) का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। विपक्ष जहां सरकार और चुनाव आयोग पर हमलावर है, वहीं अब गृह मंत्रालय की एक चिट्ठी ने बड़ा खुलासा किया है। चिट्ठी के मुताबिक भागलपुर की वोटर लिस्ट में दो पाकिस्तानी महिलाओं के नाम दर्ज पाए गए हैं, जो कई सालों से चुनावों में वोट डाल रही थीं।

1956 में पाकिस्तान से आई थीं महिलाएं

मामले की जांच में सामने आया कि इमराना खातून और फिरदौसिया रहमान नाम की दो महिलाएं 1956 में पाकिस्तान के रंगपुर से भारत आई थीं।

इमराना तीन साल के वीजा पर भारत आई थीं।

फिरदौसिया 19 जनवरी 1956 को तीन महीने के वीजा पर भारत आई थीं।

दोनों बहनें बचपन में भारत आईं और यहीं बस गईं। स्थानीय लोगों के अनुसार वे कई चुनावों में मताधिकार का इस्तेमाल कर चुकी हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि भारतीय नागरिकता लिए बिना ये महिलाएं वोट डालने का अधिकार कैसे हासिल कर पाईं?

वोटर लिस्ट और आधार कार्ड तक बन गया

भागलपुर के भीखनपुर टैंक लेन की BLO फरजाना खानम के मुताबिक, चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों में 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल मतदाताओं को जोड़ने का प्रावधान था। इसी आधार पर इमराना ने ऑनलाइन आवेदन किया और पुराने वोटर लिस्ट का हवाला देकर नाम जुड़वा लिया। इतना ही नहीं, दोनों का आधार कार्ड भी बन गया।

प्रशासन पर लीपापोती के आरोप

गृह मंत्रालय की चिट्ठी जैसे ही भागलपुर प्रशासन तक पहुंची, हड़कंप मच गया। आनन-फानन में प्रशासन ने BLO को आदेश देकर दोनों महिलाओं के मताधिकार रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
इसी बीच यह भी सामने आया कि पाकिस्तानी नागरिक मोहम्मद असलम, जो 2002 में दो साल के वीजा पर भारत आया था, उसने भी आधार कार्ड बनवा लिया है। अब पुलिस उसकी भी जांच कर रही है।

जिलाधिकारी की सफाई

भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी ने कहा कि मामला गंभीर है। नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और भविष्य में इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए अब SIR (Self Identification Report) में स्व-घोषणा पत्र अनिवार्य किया जाएगा।

चुनावी बवंडर में नया मुद्दा

चुनावी मौसम में यह मामला सियासी गर्मी बढ़ा सकता है। विपक्ष सवाल उठा रहा है कि अगर पाकिस्तानी नागरिक तक वोट डाल रहे हैं तो चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता कैसे बनी रहेगी? वहीं, प्रशासन पर आरोप लग रहे हैं कि अब तक मामले को दबाया गया और केवल गृह मंत्रालय की चिट्ठी सामने आने के बाद ही कार्रवाई शुरू हुई।


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