गाज़ीपुर – जिला कृषि अधिकारी उमेश कुमार ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि अच्छी फसल उत्पादन के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का संतुलित अनुपात 4:2:1 होना आवश्यक है, जबकि वर्तमान में यह अनुपात बिगड़कर 28:9:1 हो गया है। इसका कारण किसानों का बुवाई के समय मुख्यतः डीएपी का प्रयोग करना है। डीएपी में केवल नाइट्रोजन और फास्फोरस होते हैं, पोटाश नहीं, जिसके अभाव में फसल की गुणवत्ता और प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।उन्होंने बताया कि डीएपी एक परंपरागत उर्वरक है, जो सीमित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध कराता है और अपेक्षाकृत महंगा भी है। इसके स्थान पर यदि किसान एनपीके उर्वरक का प्रयोग करें तो फसल को नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश तीनों तत्व संतुलित रूप से प्राप्त होते हैं। एनपीके के विभिन्न अनुपात—12:32:16, 14:35:14, 19:19:19, 15:15:15, 16:16:16, 10:26:26 आदि—फसल की आवश्यकता के अनुसार उपलब्ध हैं।एनपीके में पोटाश और कुछ मिश्रणों में सल्फर होने से अनाज, सब्जियों और फलों की गुणवत्ता बढ़ती है और फसलों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। कृषि अधिकारी ने कहा कि एनपीके आधुनिक और उपयोगी उर्वरक है, जिसका संतुलित उपयोग फसलों की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकता है।














