
बॉलीवुड के ‘बोल्ड बाय डिफॉल्ट’ डायरेक्टर अनुराग कश्यप एक बार फिर अपने शब्दों के हथौड़े से खुद की नाव डुबो बैठे। ब्राह्मण समाज पर एक तीखा तीर चलाने के बाद जब मामला उनके गले की हड्डी बन गया, तो उन्होंने सोशल मीडिया पर हाथ जोड़ते हुए पोस्ट लिख डाली — “माफ़ कीजिए, मैं अपनी मर्यादा भूल गया था।”
गुस्सा आया था, लेकिन टारगेट मिस हो गया!
अनुराग कश्यप ने बताया कि उनका इरादा किसी पूरे समाज को गाली देने का नहीं था, बस गुस्से में किसी को जवाब देते-देते पूरी जमात पर ही शब्दबाण चल गया। अब कह रहे हैं, “गलती हो गई महाराज! जिनसे नहीं कहना था, उन्हीं से कह दिया।”
पहले भाव सही थे, अब शब्द भी सुधार लिए हैं!
गौरतलब है कि पहले भी अनुराग ने माफ़ी मांगी थी — पर स्टाइल थोड़ा ‘क्लासिक अनुराग’ वाला था, यानी सरकास्टिक! तब उन्होंने कहा था कि “शब्द गलत थे, पर भावना एकदम दुरुस्त थी।” लेकिन जब मामला और गरमाया, एफआईआरों की बारिश हुई, और ट्रोल सेना ने घेर लिया, तो डायरेक्टर साहब को “शब्द भी गलत थे” मानना पड़ा।
पोस्ट में खुद को पीड़ित भी बताया!
माफ़ीनामे के साथ अनुराग कश्यप ने ये भी बताया कि उन्हें और उनके परिवार को धमकियां मिल रही हैं। अब क्या करें, “भाई साहब, आप भी जब बम से बोलोगे तो बारूद तो फटेगा ही!” अब उम्मीद कर रहे हैं कि देश की जनता उनके इस पछतावे से पिघल जाएगी।
माफ़ी भी मिली, ट्रोल भी हुए!
हालांकि माफ़ी मांगने के बाद भी ट्विटर की अदालत में कोई बेल नहीं मिली। किसी ने कहा, “पहले सोच लेना था!” तो कोई बोला, “ये गलती नहीं, पाप है!” वहीं कुछ दिलदार लोग बोले, “कम से कम माफी तो मांगी, आदमी सुधर सकता है।” अब अनुराग कश्यप भी शायद यही सोच रहे होंगे – “कहाँ वो गैंग्स ऑफ वासेपुर के डायलॉग, और कहाँ ये आत्मग्लानि भरी स्पीच!”
ब्राह्मण समाज पर क्या बोले थे?
असल बवाल तो उनके उस बयान से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने गुस्से में ब्राह्मण समाज पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर डाली। नाम तो किसी एक का लेना था, पर शब्दों के बम में पूरा समाज उड़ गया। और जब समाज जागा, तो फिल्म डायरेक्टर की नींद खुली।
बॉलीवुड में स्क्रिप्ट भले ही एडिट की जा सकती हो, लेकिन सोशल मीडिया पर बोला गया हर शब्द हमेशा ‘अनकट वर्जन’ बन जाता है। अगली बार अनुराग कश्यप शायद यही सीख लेंगे कि “गुस्से में ट्वीट मत करो, स्क्रिप्ट लिखो!”