AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आरएसएस के स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सेदारी वाले बयान पर तीखा प्रहार किया। ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री जो दावे कर रहे हैं, वे किसी तथ्य पर आधारित नहीं हैं और उन्हें सुनकर उन्हें आश्चर्य हुआ। ओवैसी ने सीधे कहा, “हमारे पीएम झूठ बोलते हैं — यह दुनिया जानती है,” और जोर देकर कहा कि उनके अनुसार आरएसएस का कोई भी सदस्य देश की आज़ादी के संघर्ष में शहीद या जेल में बंद नहीं हुआ।
ओवैसी ने यह भी कहा कि उन्होंने इस विषय पर पढ़ा-परखा है और जानकारी जुटाई है। उनका दावा है कि आरएसएस के बनने के बाद उसका कोई सदस्य स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी जान नहीं गंवाया और न ही कोई आरएसएस कार्यकर्ता आरएसएस बनने के बाद जेल गया। उन्होंने कहा: “अगर किसी के पास इसके विपरीत नाम या सबूत हैं तो हमें बताएं।”
ओवैसी ने यह तर्क भी पेश किया कि आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार आरएसएस के गठन से पहले कांग्रेस के सदस्य थे। उनके शब्दों में, हेडगेवार कांग्रेस के सदस्य रहते हुए 1930 के दांडी मार्च में शामिल हुए थे — यह जानकारी, ओवैसी ने कहा, उनकी बायोग्राफी (लेखक: चंद्रशेखर परमानिक) में भी मिलती है। ओवैसी ने बताया कि हेडगेवार कभी-कभार स्वतंत्रता सेनानियों को आरएसएस में शामिल करने के लिए जेल भी गए थे — यह भी उनकी बायोग्राफी में दर्ज है।
#WATCH | Hyderabad, Telangana: AIMIM chief Asaduddin Owaisi says, “In his speech today, PM said that RSS participated in the freedom movement of the country. The entire world knows that our PM lies…Not even one RSS member lost their life in the freedom movement of the country.… pic.twitter.com/wj3GDj9uk5
— ANI (@ANI) October 2, 2025
ओवैसी के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी प्रधानमंत्री के उस दावे का खंडन किया। कांग्रेस का कहना था कि आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी नहीं की; कुछ आलोचकों ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय आरएसएस के ब्रिटिश सरकार के साथ होने वाले रुख का जिक्र भी किया। AAP ने भी कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं था।
प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस की शताब्दी समारोह के दौरान भाषण में कहा था कि आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों को आश्रय दिया, संस्थापक हेडगेवार और अन्य स्वयंसेवक जेल गए, और संगठन ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तथा चिमूर आंदोलन में ब्रिटिश दमन का सामना किया। उन्होंने आरएसएस को “राष्ट्र निर्माण” में भूमिका देने के साथ स्वतंत्रता के बाद हैदराबाद, गोवा और दादरा-नागर हवेली में किए गए योगदान का भी हवाला दिया था।
इस तरह के विपरीत दावों के बीच राजनीतिक बहस तेज है — एक ओर प्रधानमंत्री का इतिहास को एक विशिष्ट नजरिये से पेश करने वाला कथन, तो दूसरी ओर विपक्ष और आलोचक उसका खंडन और प्रमाण माँग रहे हैं।