बिहार विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक पार्टियां अब अगले साल होने वाले राज्यों के चुनावों की तैयारी में जुट गई हैं। इन्हीं राज्यों में पश्चिम बंगाल भी शामिल है, जहाँ 2026 की शुरुआत में चुनाव होने की संभावना है। चुनाव से पहले राज्य में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया चल रही है, जिसे लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।
इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संसद भवन में पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसदों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की और उनसे राज्य में चल रहे SIR अभियान को लेकर फीडबैक लिया।
“SIR शुद्धिकरण की प्रक्रिया, इसे जटिल न बनाया जाए” – पीएम मोदी
सूत्रों के अनुसार बैठक में पीएम मोदी ने सांसदों को स्पष्ट निर्देश दिया कि SIR अभियान का उद्देश्य केवल वोटर लिस्ट को सही करना है। उन्होंने कहा:“SIR का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल पात्र मतदाता ही सूची में शामिल हों, और जो पात्र नहीं हैं, उन्हें हटाया जाए। यह एक सरल और नियमित प्रक्रिया है, इसे जटिल रूप में प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए। आम जनता तक भी यही संदेश पहुँचना चाहिए।”
“बंगाल में जीत के लिए करना होगा कड़ा परिश्रम” — प्रधानमंत्री
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने पार्टी सांसदों को आगामी चुनावों के लिए तैयार रहने का संदेश देते हुए कहा: “हमें बंगाल में जीत हासिल करनी है। आप लोग काफी आगे बढ़ चुके हैं, अब इस लड़ाई को अंजाम तक पहुँचाना है। इसके लिए सभी को कड़ी मेहनत करनी होगी।”
सोशल मीडिया पर जोर, लाभार्थियों से संपर्क बढ़ाने का निर्देश
सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी ने सांसदों से कहा कि भाजपा की योजनाओं और केंद्र सरकार के कार्यों को आम लोगों तक पहुँचाने के लिए सोशल मीडिया का अधिकतम उपयोग किया जाए। साथ ही सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से निरंतर संपर्क बनाए रखने पर जोर दिया।
SIR प्रक्रिया पर आरोप–प्रत्यारोप तेज
बैठक के बीच पश्चिम बंगाल की राजनीति में SIR प्रक्रिया को लेकर विवाद भी बढ़ता दिख रहा है।
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने कथित लीक व्हाट्सऐप चैट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि राज्य प्रशासन वोटर लिस्ट से मृत लोगों के नाम हटाने से बच रहा है और उन्हें सूची में बनाए रखना चाहता है।
हालाँकि, सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें बिना सबूत और राजनीतिक भ्रम फैलाने वाला बताया है।
अब नजर चुनावी बिगुल पर
बंगाल चुनाव से पहले SIR प्रक्रिया और राजनीतिक आरोप–प्रत्यारोप ने चुनावी माहौल को पहले ही गरमा दिया है। बीजेपी राज्य में पहली बार सत्ता में आने की तैयारी में है, जबकि टीएमसी इसे अपनी राजनीतिक जड़ों की रक्षा की लड़ाई मान रही है।
आने वाले महीनों में यह स्पष्ट होगा कि मतदाता सूची में सुधार और राजनीतिक रणनीति का चुनावी नतीजों पर कितना असर पड़ता है।














