नई दिल्ली। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने सोमवार को राजधानी दिल्ली स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में ‘आदि शपथ’ नामक एक महत्त्वपूर्ण संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अर्द्ध-दिवसीय सत्र में देशभर से 20 से अधिक प्रतिष्ठित संस्थानों ने भाग लिया, जो आदिवासी समाज के कल्याण और सतत विकास के लिए कार्य कर रहे हैं।
विकास की साझी संकल्पना
इस संवाद का मुख्य उद्देश्य था कि सरकारी, निजी और सामाजिक क्षेत्र की संस्थाओं को एक साझा मंच पर लाकर आदिवासी क्षेत्रों में निवेश और विकास के लिए प्रेरित किया जाए। इस मंच पर CSR डोनर्स, कॉर्पोरेट फाउंडेशन्स, स्वयंसेवी संगठन, और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को आमंत्रित किया गया, ताकि उनकी योजनाएं आदिवासी समुदाय की वास्तविक ज़रूरतों से जोड़कर लागू की जा सकें।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य, शिक्षा, सांस्कृतिक संरक्षण और आजीविका को प्राथमिक सहयोग क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया।
संस्थानों ने दिखाया उत्साह
कार्यक्रम में ऑयल इंडिया, हडको, गेल, टाटा ट्रस्ट, गेट्स फाउंडेशन, अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन, एचसीएल टेक्नोलॉजीज़, भारती एयरटेल समेत कई प्रतिष्ठित कंपनियों और फाउंडेशनों ने हिस्सा लिया और आदिवासी समाज के साथ साझेदारी को लेकर गंभीर प्रतिबद्धता जताई। इन कंपनियों ने अपने CSR प्रोजेक्ट्स को राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार देने की इच्छा भी प्रकट की।
साझा मंच की आवश्यकता पर बल
कार्यक्रम में यह भी सुझाव आया कि एक राष्ट्रीय स्तर का साझा मंच तैयार किया जाना चाहिए, जहां सभी परियोजनाएं पारदर्शिता के साथ प्रस्तुत की जा सकें, और जनजातीय समुदाय की उन्नति के लिए नवीन संभावनाओं को योजनाबद्ध तरीके से लागू किया जा सके।
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की भागीदारी
कार्यक्रम की अध्यक्षता जनजातीय कार्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने की। इसमें संयुक्त सचिव श्री टी. रोमुआन पैते, जो NSTFDC के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं, तथा संयुक्त सचिव श्री अनंत प्रकाश पांडेय प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने उपस्थित प्रतिनिधियों को मंत्रालय की योजनाओं, प्राथमिकताओं और भविष्य की रणनीतियों से अवगत कराया।
समावेशी विकास की दिशा में एक ठोस कदम
‘आदि शपथ’ जैसे कार्यक्रम सरकार और कॉर्पोरेट जगत के बीच एक महत्वपूर्ण पुल का कार्य कर रहे हैं। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि अब देश में विकास केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के सबसे वंचित वर्गों को भी मुख्यधारा में लाने की दिशा में ठोस प्रयास हो रहे हैं।