Tuesday, July 1, 2025
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2014 के बाद ‘शांत’ कश्मीर में अचानक धमाका! कौन लेगा जिम्मेदारी – दिल्ली दरबार या घाटी सरकार?

पहलगाम, कश्मीर – जिस कश्मीर को 2014 के बाद से ‘शांत’, ‘सुरक्षित’ और ‘स्वर्ग जैसा’ बताया जा रहा था, वहां आज फिर से गोलियों की आवाज़, चीख-पुकार और खून से सनी ज़मीन ने एक बार फिर सरकार के ‘न्यू नॉर्मल’ पर सवाल खड़ा कर दिया है। दक्षिण कश्मीर के पहलगाम, जो कभी फिल्मों और हनीमून कपल्स का पसंदीदा स्पॉट हुआ करता था, अब अचानक सुर्ख़ियों में है – वजह वही पुरानी, एक और बड़ा आतंकी हमला।

बताया जा रहा है कि इस हमले में कई लोगों की मौत हो गई है और कम से कम 20 घायल हैं। पर ‘घबराने की जरूरत नहीं है’, क्योंकि दिल्ली से एक ट्वीट जरूर आ चुका है – “कड़ी निंदा करते हैं।”

अब सवाल यह है कि जो आतंकी घटनाएं 2014 के बाद ‘समाप्त’ हो चुकी थीं, जो घाटी अब सिर्फ ट्यूलिप गार्डन और जी-20 मीटिंग्स के लिए पहचानी जा रही थी, वहां यह हमला आखिर कैसे हो गया? क्या कोई भूल से 2010 की स्क्रिप्ट चला बैठा? या फिर कोई रिपोर्टिंग ‘अर्बन नक्सल’ ने कर दी?

PM साहब सऊदी में, गृह मंत्री विमान में, आतंकी मैदान में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय सऊदी अरब दौरे पर हैं, लेकिन उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से बात कर ली है, जो अब श्रीनगर रवाना हो चुके हैं। यानी अब हालात नियंत्रण में मान लिए जाएं, क्योंकि बैठक तो बुलाई जा चुकी है।

अमित शाह ने वादा किया है – “आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा।” बिल्कुल वैसे ही जैसे 2019 में कहा गया था, 2021 में दोहराया गया था और 2022 में फिर ट्वीट किया गया था। यानी ‘कड़ी कार्रवाई’ का आश्वासन अब इतना पुराना हो गया है कि शायद आतंकियों को भी उसके टोन से नींद आ जाती हो।

‘शांति’ का PR बनाम ज़मीनी सच्चाई

राजनाथ सिंह, मनोज सिन्हा, उमर अब्दुल्ला, सज्जाद लोन, सबने हमले की निंदा की – कुछ ने ट्वीट किया, कुछ ने कैमरे के सामने आंसू टपकाए। मगर इल्तिजा मुफ्ती का बयान सबसे कटाक्षपूर्ण था:

“हम 6 साल से कह रहे हैं कि कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं, लेकिन दिल्ली में बैठे लोगों को यह समझ नहीं आ रहा।”

शायद दिल्ली वाले हर चीज़ को ड्रोन्स और डेटा एनालिटिक्स से ही देख रहे हैं – जहां ‘ट्रेंडिंग टूल’ बता रहा है कि कश्मीर में तो ट्यूलिप ज्यादा ट्रेंड कर रहा है, तो ‘टेरर’ कैसे दिखेगा?

जवाबदेही की जिम्मेदारी – GPS ने रास्ता भटका दिया क्या?

अब सबसे बड़ा सवाल – कौन लेगा ज़िम्मेदारी?
केंद्र सरकार, जो हर उपलब्धि का क्रेडिट खुद लेती है?
या केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर की नियत अधिकारियों की टीम, जो सिर्फ CM न होने की सुविधा का मज़ा ले रही है?

क्या अब भी सरकार इसे ‘देशद्रोहियों की साजिश’ कहकर फिर से राष्ट्रवाद की पट्टी से ढक देगी? या फिर इस बार आतंकियों की ‘स्पेशल टूरिस्ट वार्निंग’ को सीरियसली लिया जाएगा?

“सब चंगा सी…”

जब तक राष्ट्र को बताया जा रहा था कि “370 हटने के बाद सब चंगा सी,” तब तक सब कुछ Instagram-ready लग रहा था। लेकिन अब जब खून से सनी तस्वीरें आ रही हैं, तब कोई बताएगा – ये कौन सी शांति थी, जो शोर से टूट गई?

“कश्मीर में आतंकी हमला होना अब भी बड़ी खबर है – इसका मतलब यही कि अभी भी बहुत कुछ बाकी है जानने को, समझने को… और जवाब मांगने को।बाकी PR टीम से अनुरोध है कि अगले प्रेस कॉन्फ्रेंस में कम से कम यह ना कहें कि ‘घुसपैठियों ने पर्यटक समझ के हमला कर दिया’।”

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VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
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