महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर बुधवार सुबह एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसे देखकर हर कोई अपनी हंसी नहीं रोक पाया और सोशल मीडिया पर कुछ ही घंटों में इसकी तस्वीरें वायरल हो गईं। सदन की ओर बढ़ रहे थे जुन्नर के निर्दलीय विधायक शरद सोनावणे, लेकिन उनके अंदाज़ ने पूरे परिसर की हवा बदल दी—क्योंकि वे इस बार सूट-बूट में नहीं, पूरी तरह तेंदुए की वेशभूषा में नजर आए!
सिर से पैर तक तेंदुए के प्रिंट वाली पोशाक, चेहरे पर मास्क और उस पर तेंदुए जैसी आवाजें… विधायक की यह एंट्री किसी फिल्मी सीन से कम नहीं लग रही थी! विधायक को देखकर सुरक्षा कर्मियों से लेकर पत्रकारों तक सबकी हंसी छूट गई, लेकिन सोनावणे का मकसद बेहद गंभीर था।
“सिर्फ मनोरंजन नहीं… ये है चेतावनी!” — विधायक का संदेश
तेंदुए का ‘रूप’ धारण कर सोनावणे विधानसभा पहुंचे थे ताकि सरकार का ध्यान उस बढ़ते खतरे पर जाए, जो आज महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में हर दिन सिर उठा रहा है।
उन्होंने बताया कि पुणे के जुन्नर और शिरूर, अहिल्यानगर और नासिक जैसे जिलों में तेंदुओं की मौजूदगी और हमले इतनी तेजी से बढ़े हैं कि गांवों में दहशत घर कर गई है।
किसान खेतों में काम करने से डरते हैं। कई जगह लोग सूरज ढलने के बाद घर से बाहर निकलने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहे।
विधायक ने मांग की कि इस समस्या को अब सिर्फ “जंगली जानवरों का मामला” नहीं, बल्कि राज्य आपदा घोषित कर त्वरित कदम उठाए जाएं।
वन मंत्री का अनोखा समाधान—“जंगल में छोड़ेंगे बकरियां!”
इसी बीच, सदन में वन मंत्री गणेश नाइक ने एक ऐसा बयान दिया जिसने सभी को चौंका दिया।
उन्होंने कहा—
“अगर तेंदुआ हमला करता है तो सरकार को करोड़ों मुआवजा देना पड़ता है। तो क्यों न उसी रकम की बड़ी संख्या में बकरियां जंगल में छोड़ दी जाएं, ताकि तेंदुए शिकार की तलाश में गांवों में घुस ही न पाएं!”
यह बयान सुनते ही सदन में फुसफुसाहट, हंसी और हैरानी—सबका मिला-जुला माहौल बन गया। लेकिन मंत्री ने साफ कहा कि उनका उद्देश्य है मानव-तेंदुआ संघर्ष को कम करना।
VIDEO | Maharashtra Assembly Winter Session: MLA Sharad Sonawane dons a leopard costume while addressing a press conference to protest against the rising incidents of leopard attacks in the state.
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvrpG7) pic.twitter.com/GDL5KskQwo
— Press Trust of India (@PTI_News) December 10, 2025
सरकार की नई रणनीति—जैविक बाड़ से लेकर रेस्क्यू सेंटर तक
राज्य सरकार अब इस मुद्दे पर गंभीर होती दिखाई दे रही है। चर्चा में कई बड़े प्रस्ताव सामने आए—
रेस्क्यू और पुनर्वास केंद्र
गांवों के आसपास जैविक बाड़, बांस की रेखाएं
ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए नई दिशा-निर्देश
वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन की दीर्घकालिक नीति
जितेंद्र आव्हाड द्वारा पेश ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के बाद यह मुद्दा और गर्म हो गया, और अब सरकार विस्तृत नीति बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
तेंदुए के वेश में आया संदेश—“डर को आवाज दो, तो सरकार सुनेगी!”
शरद सोनावणे का यह अनोखा विरोध भले ही मनोरंजक दिखता हो, लेकिन इसके पीछे ग्रामीणों का डर, किसानों की बेबसी और बढ़ते मानव-तेंदुआ संघर्ष की गंभीर कहानी छिपी है।
और अब पूरा राज्य एक ही सवाल पूछ रहा है—
क्या यह ‘तेंदुआ प्रदर्शन’ राज्य की नीतियों में सचमुच कोई बड़ा बदलाव लाएगा?














