
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। इससे पहले दोनों नेताओं के बीच कथित मतभेदों के चलते यूपी में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें जोर पकड़ रही थीं।
योगी की तारीफ में बदले सुर
मिर्जापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ताओं के सामने मौर्य ने कहा, “प्रदेश के हमारे मुख्यमंत्री के नेतृत्व में देश के सभी मुख्यमंत्रियों की तुलना में सबसे अच्छा काम हुआ है।” उन्होंने योगी की प्रशंसा में कार्यकर्ताओं से पूछा, “देश में योगी आदित्यनाथ जी जैसा कोई दूसरा मुख्यमंत्री है क्या?” इस बयान को देखकर साफ है कि मौर्य ने अपना रुख बदला है, जो हाल के दिनों में सुर्खियों में रही खटपट के विपरीत है।

मतभेदों की पृष्ठभूमि और नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें
केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ के बीच के मतभेद पिछले महीने तब खुलकर सामने आए, जब भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में दोनों नेताओं ने लोकसभा में भाजपा के खराब प्रदर्शन के अलग-अलग कारण बताए। योगी ने इसे अति आत्मविश्वास का नतीजा बताया, जबकि मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा करार दिया। इस बयान के बाद भाजपा में आंतरिक कलह की अटकलें तेज हो गई थीं।
यूपी में बीजेपी का संकट
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. यह उपचुनाव एक तरह से बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी है.
इससे पहले जुलाई में देश के सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे. इनमें इंडिया गठबंधन ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के खाते में केवल दो सीटें आई थीं.लोकसभा चुनावों में बीजेपी को लगे झटके के बाद इन नतीजों को भी बीजेपी के गिरते ग्राफ़ की तरह देखा गया था.
उपचुनाव की अहमियत और भाजपा के लिए चुनौतियां
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा उपचुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं, खासकर जब हाल के लोकसभा चुनावों में पार्टी को यूपी में बड़ा झटका लगा था। भाजपा को 80 में से 33 सीटें ही मिलीं, जो 2019 की तुलना में 29 कम हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर किसी भी प्रकार के मतभेद से नुकसान हो सकता है।
इन नतीज़ों का विश्लेषण बताता है कि लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने यूपी की 240 सीटों पर अपनी बढ़त बना ली है.यह बहुत स्पष्ट है. लेकिन जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य ने योगी की खुली मुख़ालफ़त की है उससे लगता है कि पार्टी में चिंता है.”
दूसरी तरफ मौजूदा समय में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव काफ़ी आक्रमक नज़र आ रहे हैं. वो संसद में भी कई मौक़ों पर सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से भी ज़्यादा आक्रमक दिखे हैं.

राजनीतिक विश्लेषण और भविष्य की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषक नवीन जोशी का मानना है कि केशव प्रसाद मौर्य का यह बदलाव यूपी में उपचुनाव को देखते हुए हुआ है। पार्टी के अंदरूनी मतभेदों को दबाकर भाजपा नेतृत्व एकजुटता दिखाना चाहता है। वहीं, वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ल का कहना है कि मौर्य को केंद्रीय नेतृत्व से फिलहाल शांत रहने का निर्देश मिला है, और उनका यह बयान पार्टी की एकता बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।

भविष्य की चुनौतियां और अखिलेश यादव का आक्रामक रुख
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का आक्रामक तेवर भाजपा के लिए चिंता का कारण बन सकता है। उन्होंने हाल के दिनों में यूपी की राजनीति में काफी सक्रियता दिखाई है, जिससे भाजपा के लिए आने वाले चुनावों में चुनौती बढ़ सकती है। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य का बदला हुआ रुख पार्टी के भीतर और बाहर की चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी हो सकता है।
यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के राज्यपाल से मुलाक़ात की थी. राज्यपाल के दफ़्तर की ओर से इस मुलाक़ात की तस्वीरें साझा कर कहा गया कि यह शिष्टाचार के नाते मुलाक़ात थी.बीते डेढ़ महीने में अलग-अलग तारीख़ों पर हुई इन मुलाक़ातों और बयानबाज़ी ने कई तरह की अटकलों को जन्म दिया था.सवाल ये भी उठ रहे थे कि क्या सीएम के तौर पर योगी आदित्य नाथ की कुर्सी सुरक्षित है?
इस सवाल को सबसे पहले बड़े स्तर पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उठाया था.
केजरीवाल ने 11 मई 2024 को एक चुनावी सभा में कहा था, ”अगर ये चुनाव जीत गए तो मेरे से लिखवा लो- दो महीने के अंदर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बदल देंगे ये लोग. योगी आदित्य नाथ की राजनीति ख़त्म करेंगे, उनको भी निपटा देंगे.’














