रांची, — झारखंड उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित भूमि घोटाले से जुड़े ईडी (एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट) के समन के तहत निचली अदालत में अनिवार्य व्यक्तिगत उपस्थिति के आदेश से अस्थायी राहत दे दी है। हाईकोर्ट ने एमपी-एमएलए कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें 12 दिसंबर को उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य बताई गई थी। अब मुख्यमंत्री की ओर से केवल उनकी कानूनी प्रतिनिधि (वकील) ही निचली अदालत में हाजिरी दे सकेंगे।
सुनवाई के हालात —
मामले की सुनवाई बुधवार को हाईकोर्ट की बेंच, जस्टिस ए. के. चौधरी के समक्ष हुई। सीएम की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दीपांकर ने अदालत को बताया कि हेमंत सोरेन ने ईडी के सभी समन का लिखित रूप में उत्तर दे दिया है, इसलिए उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति की अनिवार्यता से छूट मिलनी चाहिए। अदालत ने यह दलील स्वीकार करते हुए निचली अदालत के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें व्यक्तिगत हाजिरी के निर्देश दिए गए थे।
ED की शिकायत और निचली अदालत का आदेश —
ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर देवराज झा द्वारा दायर शिकायत में कहा गया था कि सोरेन को कथित भूमि घोटाले के सिलसिले में कई बार (कुल 10) समन जारी किए गए थे, जिनमें से वे केवल दो समन के जवाब में ही उपस्थित हुए और बाकी समन का पालन नहीं किया गया। इसके बाद ईडी ने 2024 में एमपी-एमएलए कोर्ट में कंप्लेंट पिटीशन दायर की थी। इसी पिटीशन की सुनवाई के दौरान स्पेशल जज ने रांची स्थित कोर्ट में मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत उपस्थिति का आदेश दिया था, जिसे अब हाईकोर्ट ने चुनौती स्वीकार कर रोक दिया है।
हाईकोर्ट के इस निर्णय से मुख्यमंत्री को तत्काल राहत मिल गई है — वे अब निचली अदालत में व्यक्तिगत तौर पर पेश होने से मुक्त होंगे और उनके पक्ष की पैरवी उनके वकील कर सकेंगे। न्यायिक प्रक्रिया और जांच जारी रहेगी; हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले के आगे के कानूनी पहलुओं पर निगरानी बनी रहेगी।














