दक्षिण-पूर्व एशिया में असामान्य तौर पर तेज मानसूनी बारिश और ट्रोपिकल साइक्लोनों के मिलने से आई विनाशकारी बाढ़ ने इस साल दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारी वर्षा और उसके बाद आई तेज बाढ़ के कारण पूरे क्षेत्र में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है, कई लोग लापता हैं और लाखों लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। सबसे अधिक तबाही इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर हुई है; मलेशिया और थाईलैंड भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
इंडोनेशिया — सुमात्रा
सुमात्रा के कई इलाकों में बाढ़ और भूस्खलन से हालात बेहद चिंताजनक बने हुए हैं। स्थानीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के हेड सुहार्यंतो के अनुसार सुमात्रा में अब तक 300 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और दर्जनों लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं—रिपोर्टों में कम से कम 279 लापता बताए गए हैं। मदद के लिए बचाव-कार्य अभी भी तेज़ी से चल रहा है, लेकिन मुख्य सड़कें कट जाने और कम्युनिकेशन नेटवर्क ढह जाने की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में भारी बाधा आ रही है। कई इलाकों में बिजली और इंटरनेट बंद हैं, जिससे प्रभावितों से संपर्क और राहत-सामग्री पहुँचाना कठिन हो गया है।
सुमात्रा के तीन प्रांतों से लगभग 80,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाला गया है। कई समुदायों में घर पूरी तरह बह गए हैं या मलबे में दब गए हैं; उत्तरी सुमात्रा में भूस्खलन और बहती तेज धाराओं ने सड़कें तोड़ दी हैं और गाँव-कस्बों को बाहरी दुनिया से अलग कर दिया है। बचाव दल इन बंद रास्तों पर हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि फंसे लोगों तक प्राथमिक राहत सामग्री — खाना, पीने का पानी, दवा और नीचे से बचाव-किट — पहुंचाई जा सके।
मानव त्रासदी — व्यक्तिगत किस्से
आचेह प्रांत की रहने वाली अरिनी अमालिया ने BBC को बताया कि बाढ़ की धार इतनी तेज थी कि कुछ ही सेकंड में पानी घर में घुस गया। उन्होंने बताया कि वह अपनी दादी के ऊँचे इलाके वाले घर की ओर भागीं, लेकिन अगले दिन जब वापस आईं तो घर पूरी तरह डूब चुका था। इस तरह के व्यक्तिगत किस्से बतलाते हैं कि किस तरह अचानक आई बाढ़ ने लोगों की रोज़मर्रा की जिंदगी, घरेलू सामान और बुनियादी संरचना — स्कूल, दुकानें और स्वास्थ्य केन्द्र — सब कुछ तबाह कर दिया है।
थाईलैंड और मलेशिया में हालात
थाईलैंड में शनिवार तक मिलने वाले आंकड़ों के अनुसार लगभग 160 लोगों की मौत की खबर थी, जबकि मलेशिया में भी कई मौतों और व्यापक विनाश की सूचनाएँ मिल रही हैं। इन दोनों देशों में भी मानसून-तूफान के अप्रत्याशित और तीव्र होने के कारण कई स्थानों पर पानी भर गया, सड़कों और पुलों को क्षति पहुँची तथा हजारों लोग अस्थायी शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
कारण और जटिलताएँ
स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक ट्रोपिकल साइक्लोनों से मॉनसून की बारिश और भी अधिक तीव्र हो गई—सुमात्रा के आस-पास मलक्का स्ट्रेट में उठे तूफानी हालात ने बारिश को और बढ़ा दिया। ढुलमुल मिट्टी, पहाड़ी इलाकों में कटाव और बढ़े हुए जल-स्तर ने भूस्खलनों की आशंका और गंभीर कर दी। बाढ़ के तुरंत बाद पानी की निकासी, दूषित पानी और संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है, इसलिए स्वास्थ्य सेवाओं और पानी-साफ़ करने वाले उपायों की मांग बहुत अधिक रहती है।
Blue skies in Kandy today but Sri Lankan officials warn that: “Although the cyclone is slowly moving away from the country, it is not over for us yet.”
-44,000 in temporary shelters
– at least 132 dead
– nearly 15,000 homes destroyed pic.twitter.com/1T56yeezAu— William Denselow (@willdenze) November 30, 2025
राहत-कार्य और प्राथमिक जरूरतें
सरकारी एजेंसियाँ, स्थानीय प्रशासन, सैन्य इकाइयाँ और स्वयंसेवी संगठन राहत कार्यों में जुटे हुए हैं — लोगों का जबरन निकासी, प्राथमिक चिकित्सा, गर्म भोजन, पानी और अस्थायी आश्रयों की व्यवस्था प्राथमिकता है। वहीं, प्रभावित इलाकों में बिजली और संचार बहाल करने, बंद पड़ी सड़कों को खोलने और बड़े पैमाने पर मलबा हटाने का कार्य चल रहा है। तत्काल जरूरतों में साफ़ पानी, दवाइयाँ, सैनिटेशन किट, और देखने-सुनने वालों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता भी शामिल है।
समुदाय और अर्थव्यवस्था पर असर
ऐसी भारी बाढ़ का असर सिर्फ तात्कालिक जीवन को ही नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा पड़ता है—किसान भूमि डूबने, फसलें नष्ट होने और मछलीपालन/स्थानीय व्यवसायों पर प्रभाव के कारण आजीविका प्रभावित होती है। स्कूल-शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ कई स्थानों पर ठप हो चुकी हैं, जिससे दीर्घकालिक पुनर्निर्माण और पुनर्स्थापन का काम चुनौतीपूर्ण होगा।
आगे क्या होना चाहिए — तात्कालिक व दीर्घकालिक कदम
तात्कालिक रूप से बचाव दलों को कम्युनिकेशन बहाल करने, फंसे लोगों तक पहुँचने और पानी, खाना व दवा पहुंचाने पर फोकस करना होगा। साथ ही स्वच्छ पानी और सैनिटेशन से जुड़ी स्वास्थ्य कार्रवाइयाँ तुरन्त लागू करनी चाहिए ताकि पानी जनित बीमारियों के प्रसार को रोका जा सके। दीर्घकालिक रूप से बाढ़-जोखिम वाले क्षेत्रों में बेहतर अर्ली-वॉर्निंग सिस्टम, फर्रक-इन्फ्रास्ट्रक्चर और जल-निकासी व्यवस्था को सुदृढ़ करना आवश्यक होगा।
आप मदद कैसे कर सकते हैं
यदि आप मदद करना चाहते हैं तो भरोसेमंद और स्थानीय राहत-संगठनों, सरकारी राहत फंड या अंतरराष्ट्रीय मानवीय एजेंसियों के माध्यम से सहायता भेजने पर विचार करें। नकद सहायता, स्वच्छ पानी और प्राथमिक चिकित्सा सामग्री सबसे उपयोगी साबित होती हैं; साथ ही, स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन और सहायता-वितरण के मानक चैनलों से जुड़ना सबसे सुरक्षित तरीका है।
अंत में, यह त्रासदी यह याद दिलाती है कि अचानक और तीव्र मौसमीय घटनाएँ कितनी तेजी से समुदायों की ज़िंदगी बदल देती हैं। प्रभावित लोगों की सलामती और बुनियादी ज़रूरतों की शीघ्र पूर्ति अब प्राथमिकता होनी चाहिए, और बाद में सतत पुनर्निर्माण व जोखिम-कम करने के इंतज़ामों पर काम करना अनिवार्य होगा।














