ग्रामीण भारत के दिल कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनावों को लेकर एक अहम खबर सामने आई है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान में चल रही ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) प्रक्रिया — जो विधानसभा और लोकसभा चुनावों की मतदाता सूचियों को अपडेट करने के लिए की जा रही है — का पंचायत चुनावों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
यह फैसला पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने और ग्राम स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को समय पर और सुचारू रूप से संचालित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
SIR प्रक्रिया का दायरा सिर्फ विधानसभा और लोकसभा तक सीमित
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश सहित 12 राज्यों में SIR की प्रक्रिया केवल राज्य विधानसभा और संसदीय चुनावों तक ही सीमित रहेगी। पंचायत चुनावों के लिए अलग मतदाता सूचियां रखी जाएंगी ताकि स्थानीय निकाय चुनावों में किसी तरह की तकनीकी बाधा या देरी न हो।
आयोग के अधिकारियों ने यह भी बताया कि पंचायत चुनावों के दौरान बूथ लेवल ऑफिसरों (BLOs) की भूमिका स्वतंत्र रूप से तय की जाएगी, जिससे SIR प्रक्रिया और पंचायत चुनावों के बीच कोई ओवरलैप न हो। यह निर्णय विशेष रूप से ग्रामीण मतदाताओं के हित में है क्योंकि इससे पंचायत चुनाव समय पर कराना आसान होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायती राज राज्य निर्वाचन आयोग में अंतर क्या है?
अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायती राज राज्य निर्वाचन आयोग में क्या अंतर होता है।
असल में, दोनों कोई अलग संस्थाएं नहीं हैं — बल्कि एक ही संवैधानिक संस्था के अलग-अलग कार्यक्षेत्र हैं।
संविधान के अनुच्छेद 243K के अनुसार, प्रत्येक राज्य में एक राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) का गठन किया जाता है, जिसका गठन राज्यपाल करते हैं। यह आयोग पंचायतों (ग्राम, क्षेत्र एवं जिला पंचायत) और नगर निकायों (नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम) — दोनों स्तरों के चुनावों के संचालन, पर्यवेक्षण और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होता है।
जब चुनाव केवल ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत या जिला परिषद से संबंधित होते हैं, तब उसी आयोग को अनौपचारिक रूप से ‘पंचायती राज राज्य निर्वाचन आयोग’ कहा जाता है।
इस प्रकार, यह कोई अलग संस्था नहीं, बल्कि राज्य निर्वाचन आयोग का ही ग्रामीण चुनावों पर केंद्रित स्वरूप है।
देश का निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग – दो अलग भूमिकाएँ
दूसरी ओर, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) राष्ट्रीय स्तर की एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है, जो लोकसभा, राज्य विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों का संचालन करती है।
जबकि राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) केवल स्थानीय निकायों — पंचायतों और नगर निकायों — के चुनावों का आयोजन करता है।
संविधान में स्पष्ट किया गया है कि पंचायत चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने, चुनाव कराने और प्रक्रिया की निगरानी की पूरी जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग की होती है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग का गठन 23 अप्रैल 1994 को राज्य सरकार द्वारा किया गया था। तब से यह संस्था पंचायतों और शहरी निकायों के चुनावों को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ संपन्न कराने का कार्य कर रही है।
ECI का यह फैसला स्पष्ट संकेत देता है कि ग्रामीण लोकतंत्र को प्राथमिकता दी जा रही है। पंचायत चुनावों को SIR प्रक्रिया से अलग रखकर आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि ग्राम स्तर पर लोकतंत्र की जड़ें और गहरी हों, और ग्रामीण भारत की सबसे बुनियादी लोकतांत्रिक इकाई — पंचायत — अपनी समयसीमा में चुनाव प्रक्रिया पूरी कर सके।














