लखनऊ, — समाजवादी पार्टी (सपा) का 14-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को हिंसा प्रभावित बरेली का दौरा करने के प्रयास में रोक दिया गया। विपक्ष के नेता और प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख माता प्रसाद पांडेय को घर से बाहर निकलने ही नहीं दिया गया और कई सपा नेता हाउस अरेस्ट की स्थिति में रहे।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस कार्रवाई की तीखी निंदा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार “लोकतंत्र की हत्या” कर रही है और अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए तानाशाही का सहारा ले रही है। उन्होंने प्रशासन के इस कदम को निंदनीय और शर्मनाक बताया।
पार्टी प्रवक्ता और स्थानीय नेताओं के अनुसार, माता प्रसाद पांडेय के अलावा लोकसभा सांसद हरेंद्र मलिक, इकरा हसन चौधरी, जियाउर्रहमान बर्क, मोहिबुल्लाह नदवी, नीरज मौर्य, पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव सहित कई अन्य नेताओं के घरों के बाहर सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए और उन्हें बाहर जाने से रोका गया।
प्रशासन का कहना है कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर लिया गया है और डीएम/जिला अधिकारियों ने प्रतिनिधि दल के बरेली जाने से माहौल बिगड़ने का हवाला दिया। अधिकारियों ने बताया कि संवेदनशील हालात में अतिरिक्त दलों की आवाजाही से स्थितियाँ और जटिल हो सकती थीं।
पृष्ठभूमि — बरेली में हाल की हिंसा और उसके बाद प्रशासनिक कार्रवाइयों (कई जगहों पर छानबीन, कुछ स्थानों पर बुलडोजर कार्रवाई की खबरें) के बाद विपक्ष ने पीड़ितों तक पहुँचने और स्थिति का जायजा लेने के लिए यह प्रतिनिधिमंडल भेजा था। सपा का कहना था कि प्रतिनिधिमंडल वहां डीआईजी व कमिश्नर से मिलकर शांति बहाली में मदद और पीड़ितों की स्थिति का आकलन करना चाहता था।
अखिलेश यादव ने कहा कि जिला प्रशासन और सरकार को यह समझ लेना चाहिए कि ऐसे दबावों से विपक्ष चुप नहीं रहेगा और पीठ पीछे नीतिगत निर्णयों या दमन से किसी समस्या का हल नहीं निकलेगा। सपा ने आगे चेतावनी दी कि पीडीए (पिछड़ा–दलित–अल्पसंख्यक) के एकीकरण के सामने दमन टिक नहीं पाएगा।














