बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी रणनीति को और धार दे रही है। मंगलवार को भोजपुरी स्टार पवन सिंह ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। माना जा रहा है कि पवन सिंह इस बार आरा विधानसभा सीट से एनडीए उम्मीदवार हो सकते हैं। इससे पहले उन्होंने राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से भी भेंट की और पुराने मतभेद दूर किए।
सियासी सुलह
सूत्रों के अनुसार, कुशवाहा और पवन सिंह के बीच चली आ रही नाराज़गी अब खत्म हो गई है। शाहाबाद और मगध क्षेत्र में एनडीए की स्थिति मज़बूत करने के लिए दोनों नेता मिलकर काम करेंगे। 2020 के विधानसभा चुनाव में इन इलाकों की 22 सीटों में से एनडीए केवल 2 सीटें जीत पाया था। माना जा रहा है कि पवन सिंह और कुशवाहा की एकजुटता से इस बार समीकरण बदल सकते हैं।
बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने साफ कहा — “पवन सिंह बीजेपी में थे, बीजेपी में हैं और रहेंगे।” उन्होंने पुष्टि की कि पवन सिंह आगामी चुनाव में एनडीए के स्टार प्रचारक की भूमिका निभाएंगे।
क्यों ज़रूरी हैं पवन सिंह?
भोजपुरी फिल्मों के “पावर स्टार” पवन सिंह की लोकप्रियता बिहार में बेहद व्यापक है। उनकी ताक़त केवल स्टारडम तक सीमित नहीं, बल्कि जातिगत समीकरणों को साधने में भी अहम है। कराकट, आरा, औरंगाबाद और बक्सर जैसे क्षेत्रों में वे निर्णायक वोट बैंक को प्रभावित कर सकते हैं।
2024 लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने कराकट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर 2.7 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे। इससे एनडीए को सीधे नुकसान हुआ और उपेंद्र कुशवाहा तीसरे नंबर पर आ गए। यही वजह है कि इस बार उन्हें एनडीए में वापस लाना एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
बैकस्टोरी
2024 में बीजेपी ने पवन सिंह को आसनसोल (प. बंगाल) से टिकट दिया था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और बिहार से चुनाव लड़ने पर अड़ गए। टिकट न मिलने पर वे कराकट से निर्दलीय लड़े और एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगा दी। इसी वजह से पार्टी और नेताओं के साथ उनके रिश्ते बिगड़े।
अब, अमित शाह से मुलाकात और कुशवाहा से सुलह के बाद पवन सिंह की एनडीए में वापसी लगभग तय मानी जा रही है। उनकी मौजूदगी से बीजेपी को न सिर्फ़ आरा बल्कि पूरे बिहार में चुनावी बढ़त मिलने की उम्मीद है।