पटना: केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पर तीखे आरोप लगाते हुए सवाल उठाया कि कांग्रेस–आरजेडी के यात्रा क्रम में ही कैसे नेपाल मार्ग से “तीन आतंकी” बिहार में प्रवेश कर जाते हैं और उनके, उनके शब्दों में, अंदरूनी संरक्षक देश के अंदर आतंकियों का मनोबल बढ़ा रहे हैं। उन्होंने पिछले दौरों और सरकारों को रोहिंग्या व पाकिस्तानी/बांग्लादेशी संदिग्धों से जुड़ी नीतियों के लिये जिम्मेदार ठहराया और कहा कि भाजपा अगली बार सत्ता में आने पर ऐसे लोगों को देश से बाहर निकाल देगी।
गिरिराज के आरोप — क्या कहा गया?
गिरिराज सिंह ने आरोप लगाया कि आतंकवाद का मनोबल “स्वाभाविक रूप से” नहीं बढ़ता बल्कि कुछ लोग—जो उन्होंने आस्तीन के सांप बताया—अंदर से उनका संरक्षण कर रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस और आरजेडी के शासकीय दौरों को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए 1971 और बाद के वर्षों का उदाहरण दिया और कहा कि लालू यादव के शासनकाल में कुछ संगठन पाले–पोसे गए। ये टिप्पणियाँ राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप का नया मोर्चा खोलती दिखीं।
पटना में तनाव और टकराव
इसी बीच पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित अपशब्दों को लेकर जो बेचैनी बनी, वह हिंसक रूप ले गई। शुक्रवार को कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय — सदाकत आश्रम — के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जाने पर दोनों पक्षों के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गये और बड़ी झड़पें हो गईं। घटनास्थल का वीडियो वायरल हुआ जिसमें दोनों ओर से धक्कामुक्की और झड़प दिखाई गई। प्रशासन और पुलिस ने बीच-बचाव कर स्थिति नियंत्रित की।
कांग्रेस का रूख — भाजपा पर जवाबी हमला
कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम पर पलटवार किया। पार्टी ने दावा किया कि बीजेपी इस मुद्दे को रणनीतिक ढंग से भड़काकर राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता पवन खेड़ा (Pawan Khera) ने आरोप लगाया कि भाजपा के एजेंट सभा में घुसकर उत्तेजक नारे लगाते हैं और बाद में उसी का मुद्दा बनाते हैं; कांग्रेस ने इसे बीजेपी की “गुंडागर्दी” करार दिया और कहा कि वह सत्य व संविधान की रक्षा जारी रखेगी।
राजनीतिक निहितार्थ और माहौल
राजनीतिक हलकों में यह मामला कड़ी निंदा-प्रतिक्रिया और आरोप-प्रत्यारोप का विषय बन गया है। गिरिराज के तेवर और कांग्रेस के बचाव-प्रवचन से राज्य में चुनावी ध्रुवीकरण की आशंका बढ़ी है। प्रशासन ने दोनों पक्षों को शांति और संयम का पालन करने की हिदायत दी है, जबकि पुलिस ने आगाह किया है कि कानून-व्यवस्था भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या देखने को मिल सकता है?
गिरिराज सिंह के आरोपों ने सुरक्षा-संदर्भ को राजनीतिक मसले में बदल दिया है; यह विषय चुनावी बहस का हिस्सा बन सकता है।
पटना की झड़पें और दोनों दलों के तीखे बयानों से माहौल संवेदनशील बना हुआ है; आगे की घटनाओं पर निगाह बनी रहेगी।














