राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और परिवार से निष्कासन के बाद तेजप्रताप यादव ने एक बार फिर सियासी ताप बढ़ा दिया है। TV9 भारतवर्ष को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में तेजप्रताप ने ऐलान किया है कि वह 11 जुलाई से अपने पूर्व विधानसभा क्षेत्र हसनपुर से चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे।
तेजप्रताप ने यह भी कहा कि चुनाव कहां से लड़ना है, इसका निर्णय “जनता” करेगी, क्योंकि वही “मालिक” है।
तेजस्वी को सीएम बनाने की इच्छा, लेकिन ‘बिना नाम लिए’ चेतावनी भी
अपने भाई तेजस्वी यादव को लेकर तेजप्रताप ने कहा,“मेरा आशीर्वाद तेजस्वी को है कि वह मुख्यमंत्री बनें। मैं आज भी कृष्ण हूं और वह मेरा अर्जुन है। मैं फल की चिंता नहीं करता, केवल कर्म करता हूं।”
हालांकि इस भावनात्मक समर्थन के साथ ही तेजप्रताप ने बिना नाम लिए तीखा संकेत भी दिया। उन्होंने कहा:
“मैं 99 गलतियां माफ कर दूंगा, लेकिन उसके बाद मेरा ‘चक्र’ चलेगा। मैं किसी से डरता नहीं हूं।”
उनका यह बयान सीधे तौर पर परिवार और पार्टी के कुछ सदस्यों के खिलाफ सार्वजनिक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
तेजस्वी यादव ने पत्नी के वोटर बनने पर दी जानकारी, आयोग पर भी हमला
दूसरी ओर, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपनी पत्नी के वोटर बनने को लेकर जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी अब बिहार की मतदाता बन चुकी हैं, लेकिन उनके पास जन्मस्थान से जुड़े दस्तावेज नहीं हैं।
इसी संदर्भ में महागठबंधन के सभी नेता तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव आयोग से मुलाकात करने पहुंचे और दस्तावेज़ी प्रक्रिया को लेकर आपत्ति जताई।
“बिहार के चुनाव आयोग के अधिकारी सिर्फ डाकिया हैं” – तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा: “बिहार में बैठे अधिकारी तो सिर्फ डाकिया हैं, असली फैसला तो दिल्ली से होता है।”
उन्होंने आधार कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड को वैध दस्तावेज़ के रूप में मान्यता देने की मांग की, ताकि आम नागरिकों को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने में दिक्कत न हो।
“जब लोकसभा चुनाव कराया तब आयोग अंधा था?” – तेजस्वी का सवाल
तेजस्वी ने कहा कि अगर 2024 में लोकसभा चुनाव कराना संभव था, तो अब मतदाता सूची में संशोधन के नाम पर आम जनता को परेशान क्यों किया जा रहा है?
उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा:“अगर कोई नागरिक आयोग की थोपे गए नियम पूरे नहीं कर पाया तो क्या मोदी सरकार उसकी नागरिकता खत्म कर उसे देश से बाहर निकाल देगी?”
राजद की अंदरूनी खींचतान और भविष्य की राजनीति
तेजप्रताप और तेजस्वी दोनों के बयानों से राजद की अंदरूनी खींचतान, भावनात्मक संबंधों की जटिलता और आगामी विधानसभा चुनाव से पहले नई राजनीतिक लाइनें खिंचती हुई नजर आ रही हैं।
जहां एक ओर तेजप्रताप खुद को “कृष्ण” और तेजस्वी को “अर्जुन” बताते हैं, वहीं दूसरी ओर वे “चक्र” चलाने की चेतावनी भी देते हैं — जो स्पष्ट करता है कि सत्ता, सम्मान और संतुलन की यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।