बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान को लेकर कांग्रेस ने शुक्रवार को चुनाव आयोग और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पटना में महागठबंधन की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के मीडिया और प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने इस अभियान को “वोटर लिस्ट के संशोधन की आड़ में नागरिकता पर हमला” करार दिया।
खेड़ा ने कहा, “यह सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि बिहार के लोगों की नागरिकता, अस्तित्व और संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह का अभियान बीजेपी के इशारे पर शुरू किया गया है।”
क्या है कांग्रेस की आपत्ति?
पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि यह सत्यापन अभियान मतदाताओं को डराने और असली मतदाताओं को सूची से बाहर करने की एक राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा, “बिहार में बाढ़ और मानसून की स्थिति को नजरअंदाज करते हुए, एक महीने में इस प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से पूरा करना असंभव है। यह लोगों के संवैधानिक अधिकारों का मजाक है।”
उन्होंने सवाल किया, “जब लोकसभा चुनाव इसी वोटर लिस्ट पर हुए, तो अब अचानक विधानसभा चुनाव से पहले संशोधन क्यों? क्या यह चुनावी जनादेश को प्रभावित करने की कोशिश नहीं है?”
📑 नए दिशा-निर्देशों पर भी सवाल
खेड़ा ने चुनाव आयोग के नए दिशा-निर्देशों को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने बताया:
1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे लोगों से जन्म तिथि और स्थान से संबंधित दस्तावेज मांगे जा रहे हैं।
1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे मतदाताओं से माता या पिता में से किसी एक का वैध दस्तावेज भी मांगा जा रहा है।
2 दिसंबर 2004 के बाद जन्म लेने वालों को अपने साथ-साथ माता-पिता दोनों के दस्तावेज देने होंगे।
खेड़ा का कहना है कि यह प्रक्रिया NRC (राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर) जैसी दिखती है और लोगों को अपनी ही नागरिकता साबित करने के लिए मजबूर कर रही है।
“चुनाव आयोग बन गया है मोदी जी का तीन बंदरों वाला आयोग”
बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए खेड़ा ने कहा,
“जब भी बीजेपी चुनावी संकट में आती है, वह चुनाव आयोग की शरण में चली जाती है। अब चुनाव आयोग मोदी जी के तीन बंदरों की तरह व्यवहार कर रहा है – ना कुछ सुनता है, ना देखता है, और ना ही बोलता है।”
उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताया और चुनाव आयोग से इस अभियान को तुरंत रोकने की मांग की।
महागठबंधन की साझा आपत्ति
प्रेस कॉन्फ्रेंस में महागठबंधन के अन्य नेताओं ने भी इस अभियान को लोकतंत्र के खिलाफ साजिश करार दिया और चेतावनी दी कि यदि यह प्रक्रिया रोकी नहीं गई, तो राज्यभर में जन आंदोलन छेड़ा जाएगा।