13 जून, जब इजराइल ने ईरान की राजधानी तेहरान में पहला हवाई हमला किया, उस वक्त तेहरान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज और इस्लामिक आज़ाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे 140 भारतीय छात्र दहशत और अराजकता के बीच फंसे हुए थे। छात्रों ने उस रात का भयावह अनुभव साझा करते हुए बताया कि हर मिनट हालात बद से बदतर होते जा रहे थे — और वो रात उनके जीवन की सबसे डरावनी रात बन गई।
“हमने ब्लास्ट सुना, बाहर देखा तो आसमान काले धुएं से भर चुका था”
एक छात्र ने बताया, “शुक्रवार को तड़के करीब 3:20 बजे जब ज़ोरदार धमाके की आवाज़ आई, तो हम सब चौंक गए। खिड़की से बाहर देखा तो आसमान में काला धुआं था। हम नीचे भागे, तभी और धमाकों की आवाज़ें आईं। पूरा माहौल डर और बेचैनी से भर गया।”
छात्रों ने कहा कि जैसे-जैसे समय बीतता गया, ड्रोन और फाइटर जेट्स की गड़गड़ाहट पूरे आसमान में गूंजने लगी। “हम सब बेड के नीचे छुपे बैठे थे। यूनिवर्सिटी में ब्लैकआउट हो गया था, चारों ओर सन्नाटा और घबराहट थी।”
“हमारे पास अब यहां एक और रात बिताने की हिम्मत नहीं बची”
तेहरान में फंसे छात्रों ने भारत सरकार से जल्द से जल्द उन्हें निकालने की अपील की है। “हम भारतीय दूतावास के संपर्क में हैं, लेकिन हालात ऐसे हैं कि हम हर पल डर में जी रहे हैं। हम चाहते हैं कि भारत सरकार हमें तुरंत वापस ले आए। हमें भारत की ताकत और उसके वादों पर भरोसा है।”
यूनिवर्सिटी प्रशासन बना ढाल
छात्रों ने बताया कि संकट की घड़ी में तेहरान यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने उनका हौसला बनाए रखा। “हमारे वाइस डीन और फिर डीन साहब खुद आए, हमें ढांढस बंधाया और आश्वासन दिया कि सब ठीक होगा। उन्होंने हमें इमारत के सुरक्षित हिस्सों में शिफ्ट किया। लेकिन वह रात ऐसी थी जिसे कभी भूल नहीं सकते।”
ईरान-इजराइल युद्ध: कहां से शुरू हुआ सबकुछ?
13 जून को इजराइल ने ऑपरेशन “Rising Lion” के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठानों पर बड़ा हमला किया। यह हमला एक तरह से ईरान को चेतावनी देने के रूप में देखा गया। इसके जवाब में ईरान ने भी इजराइल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। तब से अब तक दोनों देशों के बीच एक खूनी संघर्ष छिड़ चुका है, जिसमें ड्रोन हमले, मिसाइल बमबारी और जवाबी कार्रवाइयां लगातार जारी हैं।
भारत सरकार की सक्रियता और दूतावास का अलर्ट मोड
जैसे ही ईरान में हालात बिगड़ने लगे, भारतीय दूतावास ने तेहरान में फंसे नागरिकों और छात्रों के लिए हेल्पलाइन नंबर और टेलीग्राम चैनल लॉन्च किया। विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय ईरान में लगभग 10,765 भारतीय नागरिक मौजूद हैं। सरकार ने आश्वासन दिया है कि संकट की इस घड़ी में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
एक अपील – “हमें भारत वापस लाया जाए”
छात्रों की ओर से भारत सरकार से ‘ऑपरेशन गंगा’ या ‘ऑपरेशन कावेरी’ जैसी त्वरित निकासी मिशन की मांग की जा रही है। उनका कहना है कि युद्धग्रस्त इलाक़े में रहना अब उनके लिए असंभव होता जा रहा है। “हम यहां सिर्फ डॉक्टर बनने आए थे, युद्ध के बीच नहीं। हमारी जिंदगी अब आपके हाथों में है।”
तेहरान से भारत तक – एक प्रार्थना, एक उम्मीद
इस पूरी घटना ने न केवल उन छात्रों को झकझोरा है, बल्कि भारत में बैठे उनके माता-पिता और पूरे देश को भी चिंतित कर दिया है। ऐसे में यह वक्त है कि भारत सरकार एक बार फिर अपने नागरिकों को संकट से सुरक्षित निकालने की ताकत दिखाए।