प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तीन देशों की महत्वपूर्ण विदेश यात्रा पर हैं, जिसमें उनका लक्ष्य भारत के वैश्विक प्रभाव को और मजबूत करना, द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाना और वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करना है। यह यात्रा क्रमशः साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया को कवर कर रही है, और यह वैश्विक राजनीति व कूटनीति की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
साइप्रस यात्रा: ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊंचाई
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा की शुरुआत 16 जून को साइप्रस से की, जो कि भारत और साइप्रस के बीच ऐतिहासिक रिश्तों की स्मृति में एक नया अध्याय जोड़ता है। दो दशकों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा थी। इस अवसर पर साइप्रस सरकार ने पीएम मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ग्रैंड कॉलर ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकदोनिया” प्रदान किया। यह सम्मान भारत और साइप्रस के गहरे द्विपक्षीय संबंधों और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों को मान्यता देने का प्रतीक माना गया।
पीएम मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स के साथ उच्चस्तरीय वार्ता की, जिसमें व्यापार, रक्षा सहयोग, डिजिटल साझेदारी, साइबर सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र में सहयोग जैसे विषयों पर विशेष चर्चा हुई।
कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन: भारत की वैश्विक भूमिका पर ज़ोर
16-17 जून को प्रधानमंत्री मोदी कनाडा के कनानास्किस शहर पहुंचे, जहाँ वे जी-7 शिखर सम्मेलन 2025 में भाग ले रहे हैं। यह पीएम मोदी की छठी जी-7 शिखर बैठक है, जो दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक निर्णय-निर्माण मंचों पर एक स्थायी और प्रभावशाली भागीदार बन चुका है।
जी-7 बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ऊर्जा सुरक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), तकनीकी नवाचार, क्वांटम टेक्नोलॉजी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक दक्षिण की आवाज़ जैसे अहम मुद्दों पर जी-7 देशों के नेताओं और आमंत्रित राष्ट्राध्यक्षों के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की कई द्विपक्षीय बैठकें भी निर्धारित हैं। खासतौर पर कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से उनकी मुलाकात को अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है। यह बैठक दोनों देशों के बीच खालिस्तान मुद्दे पर आई तल्ख़ियों के बाद रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक बड़ी पहल मानी जा रही है।
संभावना है कि पीएम मोदी और कनाडाई प्रधानमंत्री के बीच व्यापार, शिक्षा, पर्यटन, स्टार्टअप सहयोग, और “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे विषयों पर भी चर्चा हो सकती है।
क्रोएशिया दौरा: रणनीतिक साझेदारी को और गहरा बनाने का लक्ष्य
कनाडा के बाद प्रधानमंत्री मोदी क्रोएशिया की राजधानी ज़ाग्रेब जाएंगे, जहाँ वे क्रोएशियाई राष्ट्रपति जोरान मिलानोविच और प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
यह भारत और क्रोएशिया के बीच संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदलने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। दोनों देशों के बीच औषधीय अनुसंधान, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सांस्कृतिक विनिमय जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और अधिक मजबूत किए जाने की संभावना है।
यात्रा का समग्र उद्देश्य: भारत को वैश्विक नेतृत्व के पथ पर आगे बढ़ाना
प्रधानमंत्री मोदी की यह त्रिस्तरीय यात्रा वैश्विक राजनीति के उस दौर में हो रही है जब दुनिया कई स्तरों पर अस्थिरता और तकनीकी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। ऐसे में भारत की भूमिका न केवल वैश्विक दक्षिण के नेता के रूप में उभर रही है, बल्कि एक स्थिर, शांतिप्रिय और विकासोन्मुख वैश्विक शक्ति के रूप में भी पहचान बन रही है।
साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया – तीनों देशों के साथ भारत के रिश्तों में विविधता है, लेकिन साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, रणनीतिक हितों और वैश्विक सहयोग की भावना ने इन संबंधों को एक नई दिशा दी है। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इन संबंधों को और गहरा करने, भारत की वैश्विक आवाज़ को और प्रभावशाली बनाने तथा बहुपक्षीय मंचों पर भारत की उपस्थिति को और मज़बूत करने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।