अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के गेटविक एयरपोर्ट की सीधी हवाई दूरी तकरीबन 6900 किलोमीटर है। इस दूरी को तय करने में एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर औसतन 9 घंटे 50 मिनट का समय लेता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, हाल ही में टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद यह विमान हादसे का शिकार हो गया और पेड़ से टकराने के साथ ही आग का गोला बन गया।
हादसे की प्रमुख वजह: विमान में मौजूद जेट फ्यूल
इस हादसे में आग लगने का प्रमुख कारण विमान में मौजूद एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) माना जा रहा है। हालांकि, हादसे के वक्त विमान में मौजूद फ्यूल की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, फिर भी विमान की क्षमता, तय की जाने वाली दूरी और फ्यूल की खपत के आँकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है कि उस समय विमान में करीब 80 से 90 हजार लीटर जेट फ्यूल मौजूद रहा होगा।
फ्यूल कैलकुलेशन: आंकड़ों के आधार पर समझिए पूरी गणना
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विमान की फ्यूल कैपेसिटी:
एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर 787-8 विमान अधिकतम 1,26,000 लीटर (या 33,528 गैलन) जेट फ्यूल ले जाने में सक्षम है। -
फ्यूल खपत दर:
विशेषज्ञ डाटाबेस PlanePHD के अनुसार, ड्रीमलाइनर का एक इंजन प्रति किलोमीटर औसतन 4.5 लीटर फ्यूल की खपत करता है। चूंकि इसमें दो इंजन होते हैं, इसलिए कुल खपत प्रति किलोमीटर लगभग 9 लीटर मानी जाती है। -
क्रूज़िंग फ्यूल:
6900 किमी की दूरी के लिए केवल हवा में उड़ान (Cruise Phase) के दौरान ही विमान लगभग 62,100 लीटर फ्यूल खर्च करता है।
टेकऑफ से पहले कितना अतिरिक्त फ्यूल होता है?
ICAO (International Civil Aviation Organization) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी इंटरनेशनल फ्लाइट को सिर्फ दूरी तय करने वाला ट्रिप फ्यूल नहीं, बल्कि कई अन्य फ्यूल कैटेगरीज भी लेकर उड़ान भरनी होती है:
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टैक्सी फ्यूल:
टेकऑफ से पहले और लैंडिंग के बाद जमीन पर मूवमेंट के लिए लगभग 300 से 500 लीटर फ्यूल की जरूरत होती है। -
कॉन्टिजेंसी फ्यूल:
मौसम या एयर ट्रैफिक डिले की स्थिति में काम आता है। यह ट्रिप फ्यूल का कम से कम 5% होना चाहिए, यानी लगभग 4000 लीटर। -
अल्टरनेट फ्यूल:
अगर विमान को किसी कारणवश दूसरी जगह डायवर्ट करना पड़े, तो उसे 35-40 मिनट तक अतिरिक्त उड़ान भरने लायक फ्यूल चाहिए – जो 5000 से 6000 लीटर के आसपास होता है। -
रिज़र्व फ्यूल:
किसी भी अनहोनी या इमरजेंसी में उपयोग के लिए निर्धारित, यह 30 मिनट की अतिरिक्त उड़ान के बराबर फ्यूल होता है।
इन सभी को मिलाकर देखा जाए, तो 6900 किलोमीटर की दूरी के लिए ड्रीमलाइनर को लगभग 80,000 से 90,000 लीटर फ्यूल की जरूरत होती है, जो टेकऑफ के वक्त विमान में मौजूद था।
कितना खतरनाक होता है Jet Fuel?
जेट फ्यूल अत्यधिक ज्वलनशील होता है। अमेरिकी संस्था OSHA (Occupational Safety and Health Administration) के मुताबिक यह 38°C से 72°C के बीच जल सकता है। वहीं NIOSH (National Institute for Occupational Safety and Health) की रिपोर्ट बताती है कि इसके संपर्क में आने से:
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सांस लेने में तकलीफ
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चक्कर आना
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सिरदर्द
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स्किन पर इरिटेशन, रेडनेस या केमिकल बर्न
जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं – और यह तब की स्थिति है जब फ्यूल में आग न लगी हो। आग लगने पर यह घातक विस्फोटक में तब्दील हो सकता है।
क्यों बनी आग हादसे की मुख्य वजह?
हवाई यात्रा के लिए टेकऑफ के वक्त विमान में सबसे अधिक फ्यूल भरा होता है। ऐसे में अगर विमान शुरुआती कुछ मिनटों में ही दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, तो उसमें मौजूद हजारों लीटर ज्वलनशील जेट फ्यूल तेजी से आग पकड़ सकता है। यही वजह रही कि अहमदाबाद में हादसे का शिकार हुआ ड्रीमलाइनर विमान पेड़ से टकराते ही धधक उठा और आग का भयानक रूप ले लिया।