नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए ‘उम्मीद’ नामक एक डिजिटल पोर्टल लॉन्च किया है। सरकार का दावा है कि इस पोर्टल के माध्यम से वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के प्रबंधन और पंजीकरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताई है और सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
“मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन, फिर ये जल्दबाजी क्यों?”
बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने केंद्र की इस पहल पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जब पूरा वक्फ (संशोधन) मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, तो सरकार को किसी भी तरह की पहल से पहले अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए था। जल्दबाजी साफ दर्शाती है कि सरकार की नीयत वक्फ संपत्तियों पर कब्जा जमाने की है। हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।”
“विरोध सिर्फ हमारा नहीं, समाज का है”
इलियास ने बताया कि वक्फ अधिनियम में किए गए 48 संशोधनों का केवल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ही नहीं, बल्कि विपक्षी दलों, सिविल सोसाइटी संगठनों और अल्पसंख्यक समुदायों के तमाम प्रतिनिधियों ने विरोध किया है। “यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में बहस के चरण में है, ऐसे में सरकार को धैर्य रखना चाहिए था।” उन्होंने चेताया कि इस प्रकार का कदम न्याय प्रक्रिया का अनादर है।
“रजिस्ट्रेशन से छूटी संपत्तियों को अमान्य घोषित करने की तैयारी?”
बोर्ड का आरोप है कि ‘उम्मीद’ पोर्टल को हड़बड़ी में लॉन्च करने के पीछे सरकार की मंशा यह है कि जो वक्फ संपत्तियां इस प्रक्रिया में रजिस्टर नहीं हो पाएं, उन्हें अमान्य घोषित किया जा सके। डॉ. इलियास ने कहा, “यह सीधा-सीधा वक्फ कानून की आत्मा के साथ खिलवाड़ है। हम इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।”
“जुलाई में आ सकता है सुप्रीम कोर्ट का फैसला”
डॉ. इलियास के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जुलाई तक अंतरिम फैसला आने की उम्मीद है, जिसके बाद इसे संविधान पीठ को सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा, “जब तक संविधान पीठ इस कानून की वैधता पर अंतिम निर्णय नहीं देती, तब तक सरकार को किसी भी नई प्रक्रिया को लागू करने से बचना चाहिए।”
“जल्दबाजी में लाया गया पोर्टल, गलत इरादे साफ झलकते हैं”
बोर्ड ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस पोर्टल को अदालत में चुनौती देने की पूरी तैयारी कर चुका है और संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियों से पहले ही याचिका दायर की जाएगी।
“हमने लोगों से अपील की है कि इस पोर्टल पर अपनी संपत्तियां दर्ज न करें। यह गलत मंशा से लाया गया एक कदम है, और इसका विरोध संवैधानिक और कानूनी तरीके से किया जाएगा,” इलियास ने कहा।
पृष्ठभूमि: क्या है ‘उम्मीद’ पोर्टल?
‘उम्मीद’ पोर्टल को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने वक्फ बोर्डों की संपत्तियों के डिजिटलीकरण और पारदर्शिता के उद्देश्य से लॉन्च किया है। सरकार का दावा है कि इससे वक्फ संपत्तियों की रक्षा और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित होगा।
जहां केंद्र सरकार इसे डिजिटल पारदर्शिता और शासन सुधार का कदम मान रही है, वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे वक्फ संपत्तियों पर कब्जे की एक बड़ी रणनीति मान रहा है। अब नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं, जहां यह मामला संवैधानिक समीक्षा के लिए पहुंच चुका है।