नई दिल्ली/चंडीगढ़/जयपुर
मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा तैयारियों को परखने और नागरिकों को सतर्क करने के लिए एक बार फिर मॉक ड्रिल का फैसला लिया है। 29 मई को पाकिस्तान सीमा से सटे राज्यों में ‘ऑपरेशन शील्ड’ के तहत बड़े पैमाने पर यह अभ्यास किया जाएगा। इसका उद्देश्य संभावित आपातकालीन और युद्ध जैसी स्थितियों में प्रशासन और आम जनता की प्रतिक्रिया को परखना है।
पहलगाम हमले के बाद भी मॉक ड्रिल ने निभाई थी बड़ी भूमिका
यह पहली बार नहीं है जब ऐसी मॉक ड्रिल कराई जा रही है। इससे पहले पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह किया था, तब भी इससे पहले देशभर में मॉक ड्रिल कराई गई थी। इसके बाद जब पाकिस्तान ने बदले की नीयत से ड्रोन हमलों की कोशिश की, तब देश के नागरिकों और सुरक्षा बलों की तत्परता में मॉक ड्रिल की ट्रेनिंग काफी कारगर साबित हुई थी।
किन राज्यों में और कब होगी मॉक ड्रिल?
मूल योजना के अनुसार 29 मई को गुजरात, राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में यह अभ्यास होना था, लेकिन कुछ बदलाव हुए हैं:
- गुजरात और राजस्थान में फिलहाल मॉक ड्रिल को प्रशासनिक कारणों से स्थगित कर दिया गया है। अगली तारीख जल्द घोषित की जाएगी।
- पंजाब में यह अभ्यास अब 3 जून को होगा, क्योंकि वहां के सिविल डिफेंस कर्मचारियों को फिलहाल NDRF की ट्रेनिंग दी जा रही है।
- हरियाणा में 29 मई को सभी 22 जिलों में रात 8:00 से 8:15 बजे तक 15 मिनट का ब्लैकआउट कराया जाएगा।
क्या होता है मॉक ड्रिल में?
मॉक ड्रिल के दौरान:
- सायरन बजाकर लोगों को सतर्क किया जाएगा
- मॉल्स, बाजारों और सार्वजनिक स्थानों को खाली कराकर प्रशासनिक तैयारियों की जांच होगी
- कंट्रोल रूम, वॉर्निंग सिस्टम, फायर सर्विस, रेस्क्यू ऑपरेशन, निकासी योजनाएं और डिपो प्रबंधन की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाएगा
- जनता को जागरूक करने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएंगे
ब्लैकआउट का मतलब क्या होता है?
ब्लैकआउट एक अहम रणनीति है जो दुश्मन की हवाई निगरानी और हमले से सुरक्षा के लिए अपनाई जाती है। इस दौरान:
- सभी लाइटें बंद या ढक दी जाती हैं – स्ट्रीट लाइट, घरों की लाइट, गाड़ियों की हेडलाइट, दुकानें आदि
- खिड़कियों को काले कागज़ या परदों से ढका जाता है ताकि किसी भी तरह की रोशनी बाहर न जाए और शहर ऊपर से अंधेरे में डूबा नज़र आए
क्या मॉक ड्रिल से जुड़े संकेत किसी बड़े ऑपरेशन की ओर इशारा कर रहे हैं?
मॉक ड्रिल की टाइमिंग और उसका पैमाना यह सवाल उठाता है कि सरकार किसी बड़ी सैन्य या कूटनीतिक रणनीति की तैयारी में तो नहीं है? हालांकि आधिकारिक तौर पर ऐसा कोई बयान नहीं आया है, लेकिन पिछली घटनाओं को देखते हुए नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।
मॉक ड्रिल सिर्फ अभ्यास नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है — कि देश कभी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। ऐसे में नागरिकों की भागीदारी और जागरूकता ही इस अभ्यास को सफल बनाएगी।
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