
नई दिल्ली: देश की राजधानी में प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर वर्षों से चला आ रहा विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकाल के दौरान उपराज्यपाल (LG) के अधिकारों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं वापस लेने की अनुमति दे दी है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली मौजूदा दिल्ली सरकार की ओर से पेश की गई अर्जी पर सुनवाई के बाद पारित किया। इस दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने अदालत के समक्ष तर्क रखते हुए स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार इन मामलों को आगे नहीं बढ़ाना चाहती।
AAP सरकार ने दी थी LG के अधिकारों को चुनौती
पूर्ववर्ती AAP सरकार ने कार्यकाल के दौरान उपराज्यपाल के अधिकारों और प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर अनेक याचिकाएं दाखिल की थीं। इनमें LG की मंजूरी के बिना निर्णय लेने, सेवा नियमों पर नियंत्रण और विभिन्न निकायों में LG की भूमिका को चुनौती दी गई थी। यह विवाद लंबे समय तक राजनीतिक और संवैधानिक बहस का विषय बना रहा, जिससे दिल्ली की प्रशासनिक प्रक्रिया भी प्रभावित हुई।
अब प्रभावहीन हो जाएंगी पुरानी याचिकाएं
22 मई, 2025 को वर्तमान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में औपचारिक रूप से इन याचिकाओं को वापस लेने की अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए स्पष्ट कर दिया कि अब ये याचिकाएं प्रभावहीन मानी जाएंगी।
AAP सरकार के कार्यकाल की वकीलों की फीस पर भी चिंता
सुनवाई के दौरान एक वकील ने आप सरकार के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त अधिवक्ताओं की लंबित फीस को लेकर चिंता जताई। इस पर ASG ऐश्वर्या भाटी ने आश्वासन दिया कि सभी देय भुगतानों का जल्द निपटारा किया जाएगा।
फैसले से न्यायिक बोझ और राजनीतिक तनाव दोनों में राहत
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ न्यायपालिका पर पड़े अनावश्यक बोझ को कम करेगा, बल्कि केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक खींचतान को समाप्त करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह स्पष्ट करता है कि वर्तमान सरकार राजनीतिक टकराव को पीछे छोड़कर एक स्थिर और स्पष्ट प्रशासनिक ढांचे की ओर बढ़ना चाहती है।
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब दिल्ली की राजनीतिक परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं, और नई सरकार की प्राथमिकताएं प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को लेकर कहीं अधिक स्पष्ट दिख रही हैं।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- सुप्रीम कोर्ट ने AAP सरकार की दायर याचिकाएं वापस लेने की अनुमति दी
- याचिकाएं LG के अधिकारों को चुनौती देती थीं
- भाजपा सरकार ने स्पष्ट किया—मामलों को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा
- कोर्ट ने लंबित वकील फीस के भुगतान पर भी निर्देश दिए
- फैसले से प्रशासनिक विवाद समाप्त होने की उम्मीद