भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर इन दिनों यूरोप के तीन देशों—नीदरलैंड्स, डेनमार्क और फिनलैंड—की यात्रा पर हैं। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने वैश्विक अस्थिरता, आतंकवाद, युद्ध और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर भारत का दृष्टिकोण दुनिया के सामने मजबूती से रखा। वर्तमान में वे नीदरलैंड्स में हैं, जहां उन्होंने एक कार्यक्रम में भारत के आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन ‘सिंदूर’ की चर्चा करते हुए पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को मिल रहे समर्थन पर भी खुलकर हमला बोला।
‘दुनिया में गड़बड़ी है, लेकिन संतुलन लौट रहा है’
एक प्रमुख साक्षात्कार में जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा, “दुनिया इस समय एक अशांत और गड़बड़ दौर से गुजर रही है। गाजा और यूक्रेन में विनाशकारी युद्ध चल रहे हैं। अमेरिका ने व्यापार युद्ध छेड़ रखा है, चीन ताइवान को धमका रहा है और भारत-पाकिस्तान हाल ही में एक छोटे लेकिन तीव्र सैन्य संघर्ष के साक्षी बने हैं।”
इसके बावजूद, विदेश मंत्री का मानना है कि दुनिया धीरे-धीरे संतुलन की ओर लौट रही है। उन्होंने कहा, “अब एक नया विश्व क्रम उभर रहा है—कम पश्चिमी, अधिक विविध, अधिक वैश्विक और कहीं अधिक एशियाई। यह बहुध्रुवीयता का युग है, जिसमें भारत एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है।”
पाकिस्तान पर तीखा हमला: ‘आतंक का केंद्र’
जब एक कार्यक्रम में पाकिस्तान को लेकर सवाल पूछा गया कि क्या वह आज भी आतंकवाद का अड्डा है, तो जयशंकर ने दो टूक जवाब दिया, “मैंने पहले भी कहा है और आज भी कह रहा हूं कि पाकिस्तान आतंकवाद का केंद्र है। वहां सक्रिय आतंकी संगठनों को सरकारी संरक्षण प्राप्त है।”
उन्होंने यूरोपीय उदाहरण देते हुए कहा, “अगर एम्सटर्डम जैसे किसी शांत शहर के बीचोंबीच बड़े सैन्य ट्रेनिंग कैंप हों, जहां हजारों लोग हथियारों की ट्रेनिंग ले रहे हों, तो क्या कोई सरकार यह कह सकती है कि उसे इसकी जानकारी नहीं है? यह बिल्कुल असंभव है। पाकिस्तान का यह दावा कि उसे अपने ही देश में हो रही आतंकवादी गतिविधियों की जानकारी नहीं है, पूरी तरह से अविश्वसनीय है।”
भारत की भूमिका और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की चर्चा
जयशंकर ने भारत की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख किया, जो हाल ही में भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ चलाया गया एक महत्वपूर्ण अभियान रहा। उन्होंने कहा कि भारत अब सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि proactively आतंकवाद के विरुद्ध कदम उठाता है।
डेनमार्क को लेकर उत्साहित, यूरोप से मजबूत साझेदारी की उम्मीद
पोलिटिकेन को दिए गए इंटरव्यू में जयशंकर ने डेनमार्क के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को लेकर उत्साह जताया। उन्होंने कहा कि भारत यूरोपीय देशों के साथ तकनीकी सहयोग, हरित ऊर्जा, और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के पुनर्गठन जैसे क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग चाहता है।
एस. जयशंकर का यह दौरा केवल औपचारिक मुलाकातों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के वैश्विक दृष्टिकोण, सुरक्षा चिंताओं और कूटनीतिक प्राथमिकताओं का एक सशक्त प्रदर्शन भी है। दुनिया में चाहे जितनी भी उथल-पुथल हो, भारत अब केवल प्रतिक्रिया देने वाला नहीं, बल्कि दिशा देने वाला राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है।