
नई दिल्ली
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया है और अब केंद्र सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की अगुवाई में केंद्र सरकार ने एक के बाद एक कई सख्त निर्णय लिए हैं। इन फैसलों का सीधा असर भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों पर भी पड़ा है, और पड़ोसी देश पाकिस्तान पर राजनयिक दबाव बढ़ाने की कोशिशें तेज़ कर दी गई हैं।
गृह मंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों से की बात, पाक नागरिकों को शीघ्र वापस भेजने के निर्देश
गृह मंत्री अमित शाह ने पहलगाम हमले के बाद तुरंत सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की और स्पष्ट निर्देश दिए कि उनके राज्यों में रह रहे किसी भी पाकिस्तानी नागरिक को, जिसकी वीजा अवधि समाप्त हो चुकी है या पूरी होने वाली है, भारत में रहने की अनुमति न दी जाए। उन्होंने कहा कि वीजा समाप्ति के बाद ऐसे सभी लोगों की पहचान कर उन्हें शीघ्र पाकिस्तान वापस भेजा जाए।
अधिकारियों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद गृहमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी राज्य सरकारें पाकिस्तानी नागरिकों की जानकारी जुटाने, उनकी कानूनी स्थिति की जांच करने और वापसी की प्रक्रिया तेज़ करने के लिए विशेष टास्क फोर्स या नोडल एजेंसियों की नियुक्ति करें।
यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कई पाकिस्तानी नागरिक वर्षों से भारत में रह रहे हैं, कुछ पारिवारिक कारणों से तो कुछ व्यापार या धार्मिक वीज़ा पर आए हुए हैं। अब ऐसे मामलों की गहन समीक्षा होगी।
सिंधु जल संधि पर ऐतिहासिक फैसला, पाकिस्तान को मिला कड़ा संदेश
केंद्र सरकार ने आतंकवाद को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए एक और बड़ा फैसला लिया है। भारत ने सिंधु जल संधि को “तत्काल प्रभाव से निलंबित” करने का निर्णय लिया है। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देवश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तज़ा को एक औपचारिक पत्र लिखकर भारत के इस निर्णय की जानकारी दी है।
जानकारों का मानना है कि सिंधु जल संधि को निलंबित करना पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका होगा, क्योंकि पाकिस्तान की लगभग 21 करोड़ आबादी का बड़ा हिस्सा सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। यह संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसे अब तक भारत ने तमाम तनावों के बावजूद निभाया था।
मोदी सरकार का ‘जीरो टॉलरेंस’ रुख
पिछले कुछ वर्षों से मोदी सरकार का आतंकवाद और अवैध घुसपैठ को लेकर रुख काफी स्पष्ट रहा है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक तक भारत ने यह दिखा दिया है कि अब देश की सुरक्षा सर्वोपरि है और आतंकी हमलों का जवाब सिर्फ बयानबाज़ी से नहीं दिया जाएगा।
पहलगाम हमले के बाद जो सख्ती दिखाई जा रही है — उसमें एक ओर जहां पाकिस्तान पर राजनयिक और आर्थिक दबाव बनाया जा रहा है, वहीं भारत के अंदर किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधियों पर नकेल कसने की रणनीति भी अपनाई जा रही है।
बुलंदशहर से 4 पाकिस्तानी महिलाओं की वापसी
इस कार्रवाई की शुरुआत उत्तर प्रदेश से हो चुकी है, जहां बुलंदशहर में रह रहीं चार पाकिस्तानी महिलाओं को वीजा अवधि समाप्त होने के बाद वापस भेज दिया गया। ये महिलाएं बेहद भावुक अवस्था में दिखीं और रोते हुए सीमा पार रवाना हुईं। इस दृश्य ने इस पूरे घटनाक्रम को मानवीय कोण भी दिया है, लेकिन सरकार अपने फैसले पर अडिग है।
जल्द हो सकती है और भी कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में और भी पाकिस्तानी नागरिकों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाएगा। साथ ही यह भी संभावना है कि जिन क्षेत्रों में पाकिस्तानी मूल के लोगों की आवाजाही अधिक है, वहां विशेष जांच अभियान चलाए जाएं।
पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल संधि को निलंबित करने जैसा बड़ा फैसला और देश के भीतर पाक नागरिकों की वापसी सुनिश्चित करने जैसे निर्देश इस बात का प्रमाण हैं कि भारत अब हर मोर्चे पर सख्ती बरतेगा — कूटनीतिक, रणनीतिक और प्रशासनिक, तीनों स्तर पर।