
नई दिल्ली / सोशल मीडिया डेस्क – भीम आर्मी प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका अमेरिका दौरा, जहां वे एक लग्जरी रोल्स रॉयस फैंटम कार में घूमते नजर आए। इस कार की कीमत लगभग 12 करोड़ रुपये बताई जा रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में चंद्रशेखर आज़ाद मुस्कुराते हुए कार से उतरते दिखाई दे रहे हैं, और उनके साथ कुछ विदेशी और भारतीय समर्थक भी नजर आ रहे हैं।
हालांकि इस बार सिर्फ कार नहीं, बल्कि उस कार की नंबर प्लेट भी चर्चा में है, जिस पर लिखा है – “CHAMAR3”। यह एक कस्टम लाइसेंस प्लेट है, जो अमेरिका के इंडियाना राज्य से जारी हुई लग रही है। अमेरिकी व्यवस्था में इस तरह की पर्सनलाइज्ड नंबर प्लेट लीगल होती है, लेकिन इसकी सामग्री पर विवाद तब खड़ा होता है जब उसमें कोई जातिगत संकेत, अपमानजनक शब्द, या संदिग्ध पहचान जुड़ी हो।
नंबर प्लेट ‘CHAMAR3’ क्या दर्शाती है?
• यह प्लेट सीधे तौर पर “Chamar” शब्द को दर्शा रही है, जो भारत में एक विशिष्ट दलित जाति को चिन्हित करता है।
• ‘3’ को अक्सर ‘E’ के रूप में पढ़ा जाता है, जिससे यह प्लेट “CHAMARE” जैसा भी दिख सकती है, लेकिन इसके मूल स्वरूप में यह साफ तौर पर “CHAMAR” शब्द का प्रतीक है।
• यह शब्द ऐतिहासिक रूप से अपमानजनक रूप में इस्तेमाल हुआ है, लेकिन कई दलित संगठनों और नेताओं ने इसे अब सशक्तिकरण और पहचान के रूप में अपनाया है।

क्या ये नंबर प्लेट वैध है?
अमेरिका के अधिकतर राज्यों में कस्टम नंबर प्लेट की अनुमति होती है, जब तक उसमें कोई स्पष्ट रूप से अपमानजनक या अश्लील शब्द ना हो। अगर इंडियाना DMV (डिपार्टमेंट ऑफ मोटर व्हीकल्स) ने यह प्लेट वैध रूप से जारी की है, तो यह कानूनी रूप से सही है। हालांकि भारत के जातीय संवेदनशील माहौल में, इस प्रकार की प्लेट को विवादास्पद और भड़काऊ माना जा सकता है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
वीडियो को @AnjulBamhrolia नाम के X (पूर्व Twitter) अकाउंट से शेयर किया गया है और इसे लाखों बार देखा जा चुका है। प्रतिक्रियाओं में लोगों ने सवाल उठाए हैं:
• “दलितों की आवाज़ अमेरिका में रोल्स रॉयस में बैठा है, और असली दलित आज भी जूझ रहे हैं।”
• “सड़क से संसद तक का सफर अगर लग्जरी में बदल जाए तो आंदोलन कैसे जिंदा रहेगा?”
• “CHAMAR3 नंबर प्लेट क्या गर्व का प्रतीक है या सिर्फ दिखावा?”
कुछ समर्थकों ने इसे चंद्रशेखर की पहचान और साहस से जोड़ते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी अपनी जाति या संघर्ष नहीं छुपाया।
सच्चाई क्या है?
चंद्रशेखर आज़ाद की इस विदेश यात्रा को लेकर अब यह बहस तेज हो गई है कि यह दौरा सामाजिक उद्देश्य से प्रेरित है या खुद की ब्रांडिंग का हिस्सा। उनके समर्थक जहां इसे दलित पहचान की वैश्विक स्वीकृति बता रहे हैं, वहीं आलोचक इसे आम लोगों की भावनाओं से खेलना मान रहे हैं।
• नंबर प्लेट ‘CHAMAR3’ ने फिर जाति, पहचान और राजनीति के जटिल रिश्तों को सामने लाकर खड़ा कर दिया है।
• सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय ये बन चुका है कि क्या नेता को संघर्ष की ज़मीन छोड़कर ब्रांडिंग की गाड़ी में बैठना चाहिए?
• भारत में जहां जातीय पहचान अब भी संघर्ष का मुद्दा है, वहीं अमेरिका में वही पहचान शायद लग्जरी और गर्व का प्रतीक बन चुकी है।