
नई दिल्ली/ढाका।
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार (Chief Advisor) मुहम्मद युनूस इन दिनों लगातार भारत की ओर देख रहे हैं। युनूस चाहते हैं कि वह 3-4 अप्रैल को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में होने वाले BIMSTEC शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीय वार्ता करें। हालांकि भारत सरकार की ओर से अब तक उनकी इस पहल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
यही नहीं, युनूस इससे पहले चीन दौरे पर रवाना होने से पहले भी भारत यात्रा की इच्छा जता चुके थे, लेकिन उस पर भी भारत की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
भारत से रिश्ते सुधारने की युनूस की कोशिशें
सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार के प्रमुख युनूस को एहसास है कि भारत से रिश्ते बिगाड़कर लंबा चला नहीं जा सकता। यही वजह है कि वह पीएम मोदी से मुलाकात के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उनकी मंशा बैंकॉक में BIMSTEC समिट के इतर द्विपक्षीय बैठक करने की है, लेकिन भारत की चुप्पी अब तक बरकरार है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी संसद की समिति के सामने कहा है कि बांग्लादेश की ओर से बातचीत की अपील आई है, जिस पर विचार किया जा रहा है।
मोदी के पत्र से मिली ‘सांकेतिक राहत’
भारत ने हालांकि सार्वजनिक स्तर पर युनूस की अपील का कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के नेशनल डे के मौके पर युनूस को शुभकामना पत्र भेजा है। पीएम मोदी ने पत्र में लिखा —
“1971 के मुक्ति संग्राम की भावना, नई दिल्ली और ढाका के रिश्तों का आधार बनी हुई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कैसे बिगड़े भारत-बांग्लादेश संबंध?
भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में खटास 5 अगस्त 2024 के बाद आई, जब ढाका में शेख हसीना की अवामी लीग सरकार का पतन हुआ। इसके बाद भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच हसीना भारत आ गईं और युनूस ने अंतरिम सरकार की कमान संभाली।
भारत तब से ढाका की नई सरकार से दूरी बनाए हुए है। खासकर, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और कट्टरपंथी समूहों के बढ़ते प्रभाव को लेकर भारत चिंतित है। विदेश मंत्रालय ने हाल ही में संसद की समिति को बताया कि बांग्लादेश सरकार ने अल्पसंख्यक उत्पीड़न को स्वीकारने से इनकार किया है और देश में इस्लामी शासन की विचारधारा को बढ़ावा देने वाले चरमपंथी समूह सक्रिय हैं।
युनूस की चीन यात्रा और भारत की अनदेखी
दिलचस्प बात यह है कि युनूस की कोशिशें सिर्फ भारत तक सीमित नहीं हैं। वह हाल ही में चीन यात्रा पर गए हैं। उनके प्रेस सचिव ने जानकारी दी कि चीन दौरे से पहले भी युनूस भारत आना चाहते थे और इस संबंध में दिसंबर 2024 में भारत सरकार से संपर्क किया गया था, लेकिन भारत ने कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया।
युनूस चार महीनों में चीन की यात्रा करने वाले दक्षिण एशिया के दूसरे बड़े नेता हैं। इससे पहले नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली दिसंबर 2024 में चीन के दौरे पर गए थे।
BIMSTEC समिट में होगी मुलाकात या नहीं?
अब सबकी नजर 3-4 अप्रैल को बैंकॉक में होने वाले BIMSTEC शिखर सम्मेलन पर है। क्या भारत युनूस के प्रस्ताव को स्वीकार करेगा या फिर चुप्पी बरकरार रहेगी?
यह देखना दिलचस्प होगा, क्योंकि दक्षिण एशिया की राजनीति में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते हमेशा से अहम रहे हैं और युनूस की तरफ से मुलाकात की यह पहल कूटनीतिक लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।