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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम में अपने संबोधन के दौरान महाकुंभ, आस्था, एकता और सामाजिक सेवा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने महाकुंभ को “एकता का महाकुंभ” बताया और कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है।
महाकुंभ: आस्था, सेवा और एकता का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बार का महाकुंभ अब अपने पूर्णता की ओर है, जहां अब तक करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं और संतों के दर्शन कर चुके हैं। उन्होंने इसे आने वाली सदियों तक “एकता का महाकुंभ” बताते हुए कहा कि यहां लोग सेवा भाव से समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने विशेष रूप से स्वच्छता कर्मियों और पुलिसकर्मियों की निस्वार्थ सेवा की सराहना करते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों ने “साधक” और “सेवाभाव” की तरह अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया है, जिससे उन्होंने देशवासियों का दिल जीत लिया।
बागेश्वर धाम में कैंसर चिकित्सा केंद्र का शिलान्यास
प्रधानमंत्री मोदी ने बागेश्वर धाम में कैंसर चिकित्सा एवं विज्ञान अनुसंधान संस्थान का भूमिपूजन किया, जो 10 एकड़ क्षेत्र में स्थापित होगा। इसके पहले चरण में ही 100 बेड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह केंद्र हनुमान जी की कृपा का परिणाम है, जिससे आस्था का यह केंद्र अब आरोग्य का केंद्र भी बनने जा रहा है। उन्होंने महाकुंभ में हजारों डॉक्टर्स और स्वयंसेवकों के समर्पण और सेवाभाव की सराहना की और कहा कि भारत में कई बड़े अस्पताल धार्मिक संस्थानों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं, जो चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं।
धार्मिक केंद्रों का वैज्ञानिक और सामाजिक योगदान
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के मंदिर, मठ और धाम केवल पूजा और साधना के स्थल नहीं रहे हैं, बल्कि वे विज्ञान और सामाजिक चेतना के भी केंद्र रहे हैं। उन्होंने ऋषियों के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि –
• आयुर्वेद का विज्ञान हमारे ऋषियों की देन है।
• योग का ज्ञान, जिसे आज पूरी दुनिया अपना रही है, हमारे ऋषियों ने ही दिया था।
विपक्ष पर तीखा प्रहार: “धर्म का मखौल उड़ाने वालों को जवाब देने का समय”
प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आज एक वर्ग ऐसा है, जो धर्म का मखौल उड़ाने और लोगों को बांटने में लगा है। उन्होंने कहा कि विदेशी ताकतें भी ऐसे लोगों का साथ देकर भारत और हिंदू धर्म को कमजोर करने की साजिश रच रही हैं।
उन्होंने कहा कि –
• “हिंदू आस्था से नफरत करने वाले लोग सदियों से किसी न किसी रूप में हमारे मत, मान्यताओं और मंदिरों पर हमले करते आए हैं।”
• “गुलामी की मानसिकता से ग्रस्त ये लोग हमारे पर्व, परंपराओं और संस्कृति को नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते हैं।”
• “हमारा धर्म और संस्कृति स्वभाव से ही प्रगतिशील है, लेकिन ये लोग उस पर कीचड़ उछालने की हिम्मत दिखाते हैं।”
संस्कृति और एकता की रक्षा का आह्वान
प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से भारतीय संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक मूल्यों की रक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत एकता, आस्था और अध्यात्म की भूमि है और इसे विभाजित करने की किसी भी साजिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
बागेश्वर धाम में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन धर्म, एकता, सेवा और समाज कल्याण के संदेश से परिपूर्ण था। उन्होंने महाकुंभ को सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक बताते हुए, धार्मिक स्थलों के चिकित्सा और विज्ञान में योगदान पर प्रकाश डाला। साथ ही, धर्म का विरोध करने वाली शक्तियों को आड़े हाथों लेते हुए, भारतीय
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VIKAS TRIPATHI
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