Tuesday, July 1, 2025
Your Dream Technologies
HomeDharmमहाकुंभ 2025: आस्था बनाम प्रदूषण, 20 साल बाद भी नहीं बदली गंगा...

महाकुंभ 2025: आस्था बनाम प्रदूषण, 20 साल बाद भी नहीं बदली गंगा की सच्चाई!

Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। लेकिन हर बार इस महाआयोजन के दौरान गंगा और यमुना के जल की गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 2025 के महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर बढ़ गया है, जिससे जल स्नान योग्य नहीं रह गया। यह कोई पहली बार नहीं हो रहा—20 साल पहले भी यही कहानी थी, बस तारीखें बदल गई हैं!

📜 20 साल पहले भी प्रदूषण पर उठे थे सवाल!

आज अगर महाकुंभ के जल प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट पेश की जा रही है, तो 2004 में भी हालात अलग नहीं थे। 2004 के अर्धकुंभ में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट में पहली बार साफ तौर पर कहा गया था कि स्नान के लिए प्रयागराज के कई घाटों का पानी अनुपयोगी है। उस वक्त भी फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा स्वीकार्य सीमा से कहीं अधिक थी, और गंगा में सीवेज और औद्योगिक कचरे की भारी मात्रा दर्ज की गई थी।

2004 की रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि प्रयागराज, वाराणसी और कानपुर से गंगा में गिरने वाला अनुपचारित सीवेज और फैक्ट्रियों का अपशिष्ट इस प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इन दो दशकों में कुछ बदला? 2019 और अब 2025 की रिपोर्ट बताती है कि हालात जस के तस हैं!

🚱 2019 में भी पानी ‘अशुद्ध’, अब 2025 में फिर वही हाल!

2019 के महाकुंभ में भी CPCB की रिपोर्ट ने बताया था कि गंगा में प्रदूषण स्वीकार्य सीमा से अधिक है। प्रमुख स्नान वाले दिनों में भी फेकल कोलीफॉर्म का स्तर ज्यादा था, जिसका मतलब यह था कि गंगा में डुबकी लगाना स्वच्छता मानकों के अनुसार सही नहीं था। करसर घाट और संगम क्षेत्र में BOD (Biochemical Oxygen Demand) का स्तर ज्यादा पाया गया, जिसका सीधा मतलब था कि पानी में जैविक रूप से ऑक्सीजन की मांग बढ़ गई थी—यानी पानी प्रदूषित था।

अब 2025 में फिर से वही रिपोर्ट सामने आई है। NGT (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने दिसंबर 2024 में निर्देश दिए थे कि श्रद्धालुओं को पानी की गुणवत्ता के बारे में बताया जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। CPCB की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा और यमुना में स्नान योग्य जल की गुणवत्ता नहीं है, और फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा 2500 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर की सुरक्षित सीमा से कहीं ज्यादा पाई गई है।

⚠ 2025 में भी वही मुद्दे, समाधान कब?

महाकुंभ मेले के दौरान गंगा जल की गुणवत्ता को लेकर हर बार चिंताएं उठाई जाती हैं, लेकिन क्या कोई ठोस कदम उठाए गए? 2004 में जब रिपोर्ट आई थी, तब भी कहा गया था कि गंगा एक्शन प्लान और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के जरिए नदी को स्वच्छ बनाया जाएगा। 2019 में भी यही वादे किए गए थे, और अब 2025 में फिर से वही सवाल उठ खड़े हुए हैं।

🚫 गंगा सफाई के दावों की पोल खोलती रिपोर्ट्स!

केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार गंगा की सफाई के लिए नमामि गंगे परियोजना जैसी योजनाओं का प्रचार करती हैं, लेकिन रिपोर्ट्स कुछ और ही हकीकत बयां कर रही हैं। महाकुंभ के दौरान जब करोड़ों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने आते हैं, तब पानी की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब पाई जाती है।

अब सवाल यह है कि क्या 2045 में भी हम इसी तरह रिपोर्ट पढ़ेंगे, या फिर कोई ठोस समाधान निकलेगा? गंगा और यमुना में आस्था की डुबकी लगाई जाती है, लेकिन क्या इसे सिर्फ एक धार्मिक आयोजन मानकर जल प्रदूषण को नजरअंदाज करना सही है?

👉 आपका क्या मानना है? क्या 20 साल बाद भी हालात वैसे ही बने रहेंगे, या फिर सरकारें इस बार कुछ ठोस कदम उठाएंगी?

#Kumbh2025 #GangaPollution #NGTReport #Prayagraj #SaveGanga #Mahakumbh

- Advertisement -
Your Dream Technologies
VIKAS TRIPATHI
VIKAS TRIPATHIhttp://www.pardaphaas.com
VIKAS TRIPATHI भारत देश की सभी छोटी और बड़ी खबरों को सामने दिखाने के लिए "पर्दाफास न्यूज" चैनल को लेके आए हैं। जिसके लोगो के बीच में करप्शन को कम कर सके। हम देश में समान व्यवहार के साथ काम करेंगे। देश की प्रगति को बढ़ाएंगे।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

Call Now Button